मारे गए इंस्पेक्टर सुबोध कुमार की पत्नी बोलीं, दूसरा विकास दुबे बनाने की तैयारी
दो साल पहले उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में इंस्पेक्टर सुबोध कुमार की दंगाइयों ने घेरकर हत्या कर दी थी। मामले में कई लोगों की गिरफ्तारी हुई थी, जिनमें से एक अभियुक्त शिखर अग्रवाल से अब सरकारी योजनाओं का प्रचार कराया जाएगा।
14 जुलाई को ‘प्रधानमंत्री जन जागरूकता अभियान’ नाम की संस्था ने शिखर अग्रवाल को बुलंदशहर जिले का अपना महामंत्री नियुक्त किया है। शिखर बुलंदशहर हिंसा मामले में पिछले साल गिरफ्तार हुए थे। वह जमानत पर छूटे हैं।
शिखर अग्रवाल को जो मनोनय पत्र दिया गया है उस पर केंद्रीय मंत्रियों रमेश पोखरियाल निशंक, नरेंद्र तोमर, धर्मेंद्र प्रधान, अश्विनी चौबे, श्रीपद नाइक, गिरिराज सिंह और भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्याम जाजू का नाम अंकित है।
शहीद इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की पत्नी रजनी सिंह ने वीडियो जारी कर कहा है, ‘मेरा सरकार के उन लोगों से सवाल है जो इन अपराधियों को इतना बढ़ावा देकर दूसरा विकास दुबे पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं या इनको हकीकत में पता ही नहीं होता है कि इनकी जिला स्तर पर कार्यकारिणी में क्या हो रहा है?’
उधर, शिखर का कहना है कि यह दायित्व उनकी छवि को देखते हुए दिया गया है। बकौल शिखर, ‘इसके बारे में हमें समझाया भी गया है कि कैसे काम करना है। गांव-गांव जाकर मुझे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों को पहुंचाना है। यह संस्था केंद्र सरकार की योजनाओं को जन-जन तक पहुंचाने का काम करती है।’
अनुमति मिलते ही निकालने का वादा
हालांकि ‘प्रधानमंत्री जन जागरूकता अभियान’ के बुलंदशहर अध्यक्ष प्रियतम सिंह प्रेम के अनुसार, उनके संगठन का भाजपा से कोई लेना-देना नहीं है लेकिन भाजपा के कई केंद्रीय मंत्री उनकी संस्था के मार्गदर्शक मंडल में हैं। बीबीसी से प्रियतम सिंह ने कहा कि जैसे ही मीडिया के माध्यम से जानकारी मिली की शिखर अग्रवाल जमानत पर बाहर हैं, हमने तुरंत कार्रवाई की है। केंद्रीय नेतृत्व से अनुमति मिलते ही उन्हें निकाल दिया जाएगा।
भाजपा बोली, उसका कोई संबंध नहीं
विवाद के तूल पकड़ने पर भाजपा ने अपना पल्ला झाड़ लिया। पार्टी के बुलंदशहर जिले के महामंत्री संजय गूजर ने कहा कि यह संस्था एक एनजीओ है। पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं से इसका कोई संबंध नहीं है। उस संस्था से हमारा कोई-लेना देना नहीं है। उनकी अपनी इकाई है, अपना संगठन है। वो लोग किसी को भी कोई पद देने के लिए आजाद हैं। संजय गूजर ने सफाई दी, ‘आपने संस्था का प्रमाण पत्र देखा होगा, उसमें न तो भाजपा का झंडा है और न ही उसका चुनाव निशान कमल का फूल है।’
अखलाक के हत्यारोपियों को दिलाई गई नौकरी
इससे पहले यूपी के बिसहड़ा गांव में अखलाक की हत्या के आरोपी 15 युवकों को नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन (एनटीपीसी) में कॉन्ट्रैक्ट पर नौकरी दिलाई जा चुकी है। 28 सितंबर, 2015 को गोमांस रखने के शक में अखलाक की भीड़ ने पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। बाद में पुलिस ने पाया था कि वह मांस गाय का नहीं था। हत्यारोपी 15 युवकों की नौकरी लगवाने में भाजपा विधायक तेजपाल सिंह नागर ने मदद की थी। भाजपा विधायक बिसहड़ा कांड के मुख्य आरोपी के भाई हैं।
झारखंडः केंद्रीय मंत्री ने किया था स्वागत
घटना जुलाई, 2018 की है। आज तक की रिपोर्ट के अनुसार, झारखंड के रामगढ़ में बीफ ले जाने के शक में मारे गए मीट व्यापारी अलीमुद्दीन की हत्या के 8 आरोपियों को झारखंड हाईकोर्ट ने जमानत दी थी। इनका तत्कालीन केंद्रीय नागरिक उड्डयन राज्यमंत्री जयंत सिन्हा ने माला पहनाकर स्वागत किया था। इस हत्याकांड में 11 लोगों को आजीवन कैद की सजा सुनाई गई थी। एक नाबालिग भी था, जिसे बाल सुधार गृह भेजा गया।
विवाद बढ़ने पर केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा ने कहा था, ‘मैंने कई बार कहा कि यह मामला सब-जुडिस है। इस मसले पर लंबी चर्चा करना सही नहीं होगा। सभी को न्याय मिलेगा और दोषियों को सजा मिलेगी। जहां तक माला पहनाने का मामला है, तो इससे गलत इम्प्रेशन गया है। इसका मुझे खेद और दुख है।’
(हमारे लिए यह रिपोर्ट प्रियांशू ने लिखी है। वह नई दिल्ली स्थित युवा पत्रकार हैं।)