आज सोशल मीडिया भी आँसू बहा रहा है सैनिकों की शहादत पर, हर जगह शहीदों को श्रद्धांजलि देने और अपनी संवेदनाएं व्यक्त करने का सिलसिला भी जारी है लेकिन एक ऐसा वीडियो भी इस शोशल मीडिया पर वायरल हुआ है जिसमे एक बच्ची अपने शहीद पापा का इंतज़ार करते अपना दर्द बयां कर रही है जसकी आवाज़ और वहां के हालात ऐसे हैं मानो उस गीत के एक एक बोल से कलेजा छलनी हुआ जाता हो ये दर्द वास्तव में वही समझ सकता है जिसने अपने को खोया हो वो माँ समझ सकती है जिसके बुढापे का सहारा खत्म हुआ हो वो बहन समझ सकती है जिसका भाई उससे हमेशा के लिए जुदा हो गया हो,वो पत्नी समझ सकती है जिसका सुहाग उजड़ चुका हो और उसका बच्चा जिसका भविष्य ही अंधकार में समा गया हो।
वास्तव में बड़ा मार्मिक और ह्रदयविदारक दर्शय होगा उस आंगन का जिस आंगन का जवान देश के लिए शहीद हो गया।अब ये सोचने का वक़्त आ गया है कि क्या हमारी सरकारें हमारे सैनिकों के साथ सम्मानजनक व्यवहार उनके जीते जी भी करती हैं या सिर्फ मरणोपरांत उन्हें शहीद का दर्जा दे कर और बदला लेने की बात कह कर अपना फर्ज निभा जाती है।देखा जाए तो जितना सम्मान किसी माननीय का होता है उससे सौ गुना अधिक हमारे देश की सुरक्षा में लगे सैनिक का होना चाहिए क्योंकि वो जब तक जीता है तब तक सिर्फ कुर्बानी ही देता है जीता है तो घर परिवार से दूर रहकर अपने देश की रक्षा में सर्वस न्योछावर कर देता है पर बदले में जो हमारी सरकारें उन्हें देती हैं वो उतने का आधा हिस्सा भी नही होता जिसके वो हक़दार होते हैं।अब ज़रूरत है कि माननीय लोग खुद की सुख सुविधा को बढाने की बजाए सैनिकों के सम्मान को बढाएं और वो खुद ये आकलन करें कि दोनों में महान कौन है और क्यों है।जाते जाते आप भी आंखे नम कर लीजिए उसी गीत के साथ जिसने सोशल मीडिया पे कई लोगों को ये एहसास दिला के ग़मज़दा कर दिया कि अपनों के खोने का मतलब क्या होता है।