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Wednesday, September 18, 2024

बेलगाम खनन माफियाओं के द्वारा सफेद चांदी का अवैध कारोबार

सीतापुर-अनूप पाण्डेय,अमरेंद्र पाण्डेय/NOI-उत्तरप्रदेश जनपद सीतापुर में प्राकृतिक सम्पदाओं का दोहन और खनन माफियाओं की लूट इस समय प्राकृतिक सम्पदाओं के दोहन का अंधाधुंध दौर चल रहा है जिसका सीधा असर पर्यावरण संतुलन पर पड़ रहा है। प्राकृतिक सम्पदाओं में मिट्टी बालू मौरंग भी शामिल है जो आज आम आवश्यकता की चींज बन गयी है।इधर योगीजी की सरकार आते ही सख्ती के चलते पच्चीस रूपये फुट वाली मौरंग सवा सौ डेढ़ सौ रूपये पहुंच गई थी और इसी तरह बालू के भी मूल्य आसमान छूने लगे थे।इधर बालू मौरंग के मूल्यों में काफी गिरावट आयी है जिससे कुछ राहत मिली है। देश और प्रदेश में बालू मौरंग खनन करने के लिये नदी के किनारे सरकारी भूमि का पट्टा दिया जाता है। बालू मौरंग खनन करने वाले माफियाओं की अपनी दुनिया होती है और इसमें दंबग गुण्डा बदमाश अधिकारी कर्मचारी के साथ राजनेता और उनके सहयोगी भी शामिल हैं। अभी पिछली सपा सरकार में एक कैबिनेट मंत्री का नाम खनन माफिया के रुप में रोशन ही नहीं हुआ था बल्कि इस मुद्दे पर पार्टी में दो फाट हो गये थे। खनन माफियाओं का एक अपना संगठित गिरोह होता है जो बालू मौरंग की लूट करके मालामाल बनता है। माफिया मिट्टी बालू मौरंग का खनन नियमानुसार पट्टा या ठेका लेकर होता है और बिना ठेका के भी किया जाता हैं।बिना ठेका खनन में अधिकारी कर्मचारी और राजनेताओं की मिली भगत होती है और कभी कभी खनन की नीलामी ठेका न करके माफियाओं को छुट्टा लूट करने का अवसर दे दिया जाता था। अधिकृत तौर पर खनन करने वाले सरकार को चूना लगाने के लिए दिन में दस पांच रायल्टी काट कर सोते हैं और शाम होते ही खनन निकासी और सरकारी रायल्टी चोरी करने का अंधाधुंध दौर शुरू हो जाता है जो सारी रात चलता रहता है।घाट से बालू की निकासी करने वाहनों की तादाद इतनी अधिक होती है कि बालूघाट को मुख्य मार्ग से जोड़ने वाले मार्ग की ऐसी कम तैसी हो जाती है और वह चलने लायक नहीं बचता है।इस समय मौरंग और बालू खनन का कार्य पट्टे पर कराया जा रहा है और पट्टेदार की आड़ में माफिया बालू मौरंग मिट्टी की लूट मचाये हैं। लोगों को दस पांच ट्राली मिट्टी के लिए परिमीशन लेना पड़ता है लेकिन माफियाओं को सौ दो सौ ट्रकों टैक्ट्रर ट्रालियों के लिये परमीशन नहीं लेनी पड़ती है बल्कि उसकी रायल्टी का हिस्सा पुलिस और संबंधित अधिकारियों को रिश्वत के रूप मे देना पड़ता है। इस समय घाघरा नदी के किनारे बालू खनन करने वालों ने अधिकारियों से मिलकर लूट मचा रखी है। खनन माफिया आसपास के किसानों को भी नही बख्श रहे हैं और उनके खेतों में जबरिया खनन कर रहे हैं।अधिकारियों की मिलीभगत के चलते किसानों की जल्दी सुनवाई नहीं होती है और जबतक जाँच की औपचारिकता पूरी होती है तबतक खनन माफिया खनन करके रफ्फूचक्कर हो जाते हैं। कुछ दिनों पहले सेवता विधायक ज्ञान तिवारी ने भी खनन माफियाओं द्वारा हो रही अवैध खनन को लेकर जिला स्तर तक अधिकारियों को सख्त हिदायत भी दी परंतु अधिकारियों पर जनप्रतिनिधियों की बातों का कोई भी सर नहीं होता है आए दिन खनन वाले क्षेत्र में किसी गड्ढे में डूबकर कई जिंदगियां मौत के आगोश में समा चुकी है परंतु खनन माफियाओं द्वारा घाघरा के किनारे पांच जिलों में हो रही लूट की जो तस्वीर एवं आइना दिखाया गया है वह तो एक नमूना मात्र है और कड़ुआ सच तो यह है कि खनन में लूट बेइमानी हमेशा हर स्तर पर होती है और लोग पलक झपकते ही लखपती से करोड़पति बन जाते हैं। अनाधिकृत रुप से प्राकृतिक सम्पदाओं के अंधाधुंध दोहन का चल रहा दौर भविष्य के लिए शुभ नहीं कहा जा सकता है। धन्यवाद।।

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