सीतापुर-अनूप पाण्डेय,अमरेंद्र पाण्डेय/NOI-उत्तरप्रदेश व देश में नकदी की समस्या और सरकार के लिए सिरदर्द एवं गले की हड्डी बनती बैंकिंग प्रणाली पर विशेष –
बैंक एवं बैकिंग प्रणाली मोदी सरकार के लिए मुसीबत का सबब बनते जा रहे हैं और बैंकिंग प्रणाली के चलते सरकार कटघरे में खड़ी होती जा रही है। नोटबंदी योजना का स्वागत देश की बहुसंख्यक छोटे और मध्यम वर्गीय लोगों ने जिस उल्लास के साथ किया था वह अपने आप में अभूतपूर्व था और लोग हजार दो हजार रुपये बदलने के लिए धूप छाँव सबकुछ बर्दाश्त करते रहे लेकिन मोदी की बुराई सुनना नही पसंद किया था। बैंकिंग प्रणाली का ही प्रतिफल था कि जनता तो परेशान हुयी लेकिन कोई हरामखोर काली कमाई वाला बैंक की लम्बी लाइनों में खड़ा परेशान नहीं दिखाई पड़ा और प्रधानमंत्री की गाइड लाइन के बावजूद लोगों ने एक मुश्त बैंक से पुराने नोट बदलकर नये हासिल कर लिये।अभी हाल ही में बरामद पुरानी नकदी भारी मात्रा में बरामद हुयी जो बदलने के लिए जा रही थी। बैंकिंग प्रणाली के ही चलते विभिन्न बैंकों में करोडों अरबों रुपये का घोटाला हो गया और बैंकिंग अधिकारियों की वजह के कुछ बैंक कंगाल होने की कगार पर पहुंच गये।बैंकिंग प्रणाली के चलते उत्तर प्रदेश की सरकार की महत्वाकांक्षी कर्जमाफी योजना भी परवान नही चढ़ पाई और आज भी तमाम लोगों को योजना का लाभ नहीं मिल सका है।बैंकिंग प्रणाली के ही चलते आमलोगों का विश्वास बैंकों से हटता जा रहा है लेकिन सरकार की जबरदस्ती की वजह से विभिन्न योजनाओं का लाभ लेने के लिए गरीबों किसानों मजदूरों को बैंकों में अपमानित होना पड़ रहा है।बैंक के मनमाने नियम उपभोक्ताओं को पीड़ा पहुंचाने लगे हैं और बैकिंग प्रणाली की ही देन है कि सरकार के सामने एक नयी समस्या आ गयी है जिसका राजनैतिक लाभ लेने में एक बार फिर विपक्षी सक्रिय हो गए हैं।इधर पिछले कई दिनों से देश के विभिन्न क्षेत्रों से एटीएम खाली होने की सूचनाएं आ रही हैं लेकिन पिछले चार पांच दिनों से बिहार, मध्यप्रदेश, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, गुजरात, महाराष्ट्र आदि राज्यों में एकायक नकदी की समस्या खड़ी हो गई है। लोगों को एटीएम मशीनों से खाली हाथ निराश होकर लौटना पड़ रहा है।विपक्ष ने इस नकदी संकट को वित्तीय इमरजेंसी बताते हुए सरकार की घेराबंदी शुरू कर दी है।स्थिति इतनी भयावह हो गयी है कि वित मंत्रालय सक्रिय हो गया है और सफाई दी है कि समस्या दीर्घकालिक नहीं बल्कि अस्थाई है। बैंकों के राजा कहे जाने वाले रिजर्व बैंक ने भी माना है कि कुछ हिस्सों में पैसा एटीएम मशीनों में नहीं पहुंच पा रहा है लेकिन इन हिस्सों में नकदी पहुंचाने की व्यवस्था की जा रही है।केन्द्रीय रिजर्व बैंक का मानना है कि लोग पैसा निकाल तो रहे हैं लेकिन जमा नहीं कर रहे हैं। सभी जानते हैं कि जमाखोरी हरामखोरी करने वाले लोग पहले भी सक्रिय थे और आज भी सक्रिय हैं।दूसरा कारण अगला लोकसभा चुनाव सिर पर आ गया है और सभी चुनाव लड़ने और लड़वाने वाले नकदी संग्रह करने में जुट गये है। सरकार ने दो हजार का नोट चलाकर भ्रष्टाचार कालाबाजारी पर अंकुश नहीं लगाया है बल्कि बढ़ावा दे दिया है और दो चार करोड़ कोट पैंट सदरी और कमीज की जेब में आ सकते हैं।अब अटैची की जरूरत नहीं पड़ती है बल्कि अखबारी टुकड़े केे पैकेट में चालीस पचास लाख रुपये बंध जाते हैं।एटीएम से पैसा लेना आसान हो गया है और यह भी हो सकता है कि लोग एटीएम से पैसा निकालकर उसे डम्प करने में जुट गये हो।कुल मिलाकर अचानक देश में दूषित बैकिंग प्रणाली के चलते वित्तीय सकंट खड़ा हो गया है जिससे हाहाकार मच गया है और सरकार डैमेज कंट्रोल करने में जुट गयी है। बैंक और बैकिंग प्रणाली सरकार के लिये गले की हड्डी बनती जा रही है।