सीतापुर-अनूप पाण्डेय/NOI-उत्तरप्रदेश जनपद सीतापुर के विकाश खण्ड सकरन में ग्राम पंचायत अधिकारी को न जिला प्रशासन का डर है न निर्वाचन आयोग का । उन्होंने निर्वाचन के दौरान टेन्डर कर डाले। उसमें भी खेल खेला गया। जब टेन्डर खोलने का दिनाँक 9/3/2019 था तो 29 /3/2019 को टेन्डर छपवाने की क्या आवश्यता थी ? खुल पहले जाता है और टेन्डर छपता बाद में है। इससे ही यह प्रतीत होता है कि, ग्राम पंचायत में भेजे गये पैसो में केवल बन्दर बाट ही किया जाता है और कागजों की पूर्ति की जाती है। इन कर्मचारियों को न जिला प्रशासन का डर है और न शासन का। वह कहते हैं कि, जाँच होगी तो थोडा खर्चा बढ़ जायेगा और कुछ नहीं होगा। जबकि इसी विकास खण्ड में निर्वाचन के दौरान मनरेगा के कार्यों की स्वीकृति दी गयी है। जब यहाँ तैनात खण्ड विकास अधिकारी स्वयं गलत कर रहे हैं, तो अपने कर्मचारियों से गलत करा रहे हैं, जबकि यहाँ के कर्मचारी प्रमुख सचिव के आदेशों को दर किनार करते हुये अपनी मर्जी से कार्य करते हैं। प्रमुख सचिव श्री राजीव कुमार जी द्वारा एक आदेश अगस्त 17 में सभी विकास खण्डों को दिया गया था कि, सौर ऊर्जा सम्बन्धी समस्त कार्य नेडा से कराये जायेंगे, लेकिन यहाँ तैनात कर्मचारियों ने उस आदेश की धज्जियां उड़ाते हुये अपनी मनमर्जी की फर्मो से मानक विहीन सोलर लाइटों की खरीद जनपद में अन्य विकास खण्डों से ज्यादा की गयी है और भारी कमीशन लिया गया है। जब यहाँ के कर्मचारी और अधिकारी प्रमुख सचिव को नहीं मानते हैं, तो जिला प्रशासन को क्या समझेंगे ? यहां पर तैनात कर्मचारी केवल पैसा पैदा करने के उद्देश्य से यहाँ आते हैं और पैसा पैदा करके स्वयं स्थानान्तरण करा लेते हैं। यहाँ यह खेल चलते हुये कई वर्ष हो गये हैं, लेकिन न जिला प्रशासन ध्यान दे रहा है और न ही शासन तक इन घोटालों की खबर होती है।
जो टेन्डर हुआ उसकी जाँच व विकास खण्ड में अगस्त 2017 से अब तक जितने सौर ऊर्जा वा स्ट्रीट लाईट एवं कूड़ेदान की जो खरीद की गयी है, उसकी जाँच जिलास्तरीय कमेटी गठित करके कराई जाये तथा निर्वाचन के दौरान जिन अधिकारीयों एवं कर्मचारियों द्वारा स्टीमेट पास कराया गया या पास किया गया, उसकी जाँच जिला प्रशासन के अधिकारी द्वारा कराई जाये। तो सारी सच्चाई सभी के सामने आ जाये गी मगर सोचने वाली बात है की सभी अधिलरियों के निगाह में होते हुए इस तरह ले फर्जी तौर पे बड़े बड़े खेल होते रहते है ।