दीपक ठाकुर
कानपुर का कुख्यात आज भले ही पुलिस कस्टडी में है लेकिन अभी तक का जो घटनाक्रम रहा उसे देख कर यही लगता है कि यहां एक बार फिर साबित कर दिया कि वो अपनी मर्ज़ी का मालिक है उसका दिमाग एक शातिर शैतान का दिमाग है जो पुलिस से दो कदम आगे ही दिखाई दिया है अभी तक।
2 जुलाई को जब विकास ने कानपुर में 8 पुलिसकर्मियों को मौत के घाट उतारा उसमे भी उसे कोई पकड़ नही पाया क्योंकि उसकी सुनुयोजित साजिश का ये पहला और उसके लिहाज से सफल हिस्सा रहा।उसके बाद 6 दिनों तक वो यूपी सहित कई राज्यों की पुलिस के लिए एक पहेली बना रहा के आखिर विकास है तो है कहाँ इस बीच पुलिस विकास के साथियों को ढूंढ ढूंढ कर उनका इनकाउंटर कर रही थी जिसकी सारी सूचना विकास तक पहुंच भी रही थी जिसका मतलब की विकास का नेटवर्क अंत समय तक तगड़ा रहा उसकी हर चाल से पुलिस को मात मिली।
विकास की जान की दुश्मन बनी पुलिस को इस बात का इंतज़ार था कि कब वो दिखे और उसका इनकाउंटर किया जाए लेकिन पुलिस की इस मंशा पर भी विकास दुबे ने पानी फेर दिया उसने सुनियोजित तरीके से खुद को पुलिस के हवाले कर दिया सूत्र बता रहे हैं कि उज्जैन के महाकाल मंदिर में जब वो गया तो यही सोच के गया कि उसको यहां से पुलिस हिरासत में जाना है इसलिए उसने लोगों से कहा मुझे नही जानते तुम जबकि सारा देश मुझे जानता है विकास दुबे नाम है हमारा इस तरह उसने खुद को मंदिर परिसर में सबका परिचित बना दिया और अंत मे जब पुलिस उसे पकड़ के ले गई तब भी वो बाहर आ कर चिल्लाता नज़र आया कि मैं ही हुन विकास दुबे कानपुर वाला मुझे गिरफ्तार कर लिया गया है और यहां उसकी जीत इस तरह हुई के विकास इनकाउंटर से बच गया जो विकास चाहता था।