सीतापुर-अनूप पाण्डेय,अमरेंद्र पाण्डेय/NOI-उत्तरप्रदेश –सामान्य व पिछड़ा वर्ग बीजेपी से हुआ नाराज तो 2019 की राह कही कठिन न हो जाये
जातिय राजनीति पर सवार होकर सत्ता सुख भोगने के लिए आमादा बीजेपी को कही दलित प्रेम महंगा न पड़ जाए। लोकतंत्र में राजनीति समाज को जोड़कर राष्ट्र को विकास के पथ पर ले जाना चाहिए। लेकिन देश की राजनीतिक पार्टियां देश में जातिय विरोधाभास करके सत्ता सुख भोगना चाहती है। इसी कड़ी में बीजेपी भी दलित प्रेम दिखाकर एससी एसटी एक्ट को और भी कड़ा करने जा रही है। आजादी के समय दबे कुचले उपेक्षित समाज को मुख्यधारा में जोड़ने के लिए आरक्षण प्रथा शुरू की गई थी। जिसका एक निश्चित समय निर्धारित किया गया था। निश्चित समय पूरा होने के बाद भी आरक्षण हर स्तर पर लागू चल रहा है। इसी के तहत दलित समाज को सामाजिक उत्पीड़न से बचाने के लिए कानून बनाया गया। इसके साथ ही दलित निवारण एक्ट भी बनाया गया। जिसको बसपा सरकार में इसको और कड़ा कर दिया था। जिसके तहत लोगों ने इस एक्ट का दुरुपयोग करना शुरू कर दिया। निर्दोषों पर इसी एक्ट के तहत कार्रवाई होनी प्रारम्भ होनी शुरू हो गई थी। जब बसपा फिर से सत्ता में आई तो उसमें कुछ ढील दे दी गई। जिसमें दलित शिकायत पर सीओ स्तर के अधिकारी द्वारा जांच की व्यवस्था की गई थी। अब बीजेपी सरकार इस एक्ट को और भी कड़ा बनाने जा रही है। अभी कुछ माह पूर्व सुप्रीम कोर्ट ने दलित एक्ट में फौरन गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी। जिसके तहत अगस्त माह के दलित समाज के द्वारा देश में भारत बंद आंदोलन के दौरान आगजनी,लूटपाट आदि हिंसक झड़पें हुई थी। केंद्र में पूर्ण बहुमत की सरकार चला रही भारतीय जनता पार्टी भी एकतरफा कानून बनाकर दलित प्रेम दिखाकर वोट बैंक की राजनीति कर रही है। कही ऐसा न हो मोदी सरकार का दलित प्रेम 2019 की डगर कठिन न बना दे।