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Sunday, March 23, 2025

भाजपा ने मुसलमानों को फिर किया मायूस, 148 घोषित उम्मीदवारों में एक भी मुसलमान चेहरा नहीं

वर्ष 2015 के निकाय चुनाव में जबर्दस्त प्रदर्शन करने के बूते गुजरात में मुसलिम बिरादरी को इस बार के विधानसभा चुनाव में टिकट मिलने की उम्मीद बंधी थी।

इस बिरादारी से जुड़े पार्टी कार्यकर्ताओं ने अल्पसंख्यक बहुल करीब एक दर्जन सीटों पर टिकट का आवेदन भी दिया था। मगर इस चुनाव में भी इस समुदाय को भाजपा से टिकट मिलने की संभावना करीब करीब खत्म हो गई है।

दरअसल पार्टी मुस्लिम बिरादरी के दावे वाली ज्यादातर सीटों पर उम्मीदवार घोषित कर चुकी है। इस बिरादरी की बची खुची उम्मीदें अब बाकी बची उन 34 सीटों पर है, जिस पर भाजपा ने अभी उम्मीदवार खड़ा नहीं किया है। 

पार्टी सूत्रों के मुताबिक शुरुआती दौर में मुसलिम बहुल छह सीटों पर उम्मीदवारों के पैनल में इस बिरादरी के नेताओं को शामिल किया गया था। इनमें से भुज, जमापुर, वागरा सहित कुछ अन्य सीटों पर उम्मीदवार घोषित हो चुके हैं।

अभी अब्दासा और वेजलपुर की सीटें हैं जहां के पैनल में अल्पसंख्यक बिरादरी के नेता हैं। मगर इन्हें टिकट मिलने की उम्मीद कम ही है। गौरतलब है कि वर्ष 1980 में पार्टी की स्थापना के बाद से भाजपा ने महज 1998 के विधानसभा चुनाव में इस बिरादरी के एक व्यक्ति को टिकट दिया था। हालांकि संबंधित मुस्लिम प्रत्याशी जीत हासिल नहीं कर पाए थे। 

राहुल का नरम हिंदुत्व भी बनी वजह 

निकाय चुनाव में किया था दमदार प्रदर्शन 
भाजपा ने वर्ष 2010 के निकाय चुनाव में इस बिरादरी के कुछ लोगों पर भरोसा जताया था। तब इस बिरादरी के कई उम्मीदवार चुनाव जीतने में सफल रहे थे। वर्ष 2015 के निकाय चुनाव में इस बिरादरी के 300 से अधिक लोग भाजपा के टिकट पर जीते। जीत के अलावा राज्य सरकार के सद्भाव कार्यक्रम शुरू करने से इस बिरादरी पर मेहरबानी बरसने की उम्मीद जगी थी। 

राहुल का नरम हिंदुत्व भी बनी वजह 

भाजपा नेतृत्व दो महीने पहले अल्पसंख्यक बिरादरी को टिकट देने के मूड में था। मगर इस बीच कांग्रेस उपाध्यक्ष के नरम हिंदुत्व कार्ड से सियासी परिस्थितियां बदल गई।

पार्टी के रणनीतिकारों को लगा कि अगर वह अल्पसंख्यक बिरादरी के प्रति दरियादिली दिखाती है तो राहुल की नरम हिंदुत्व की रणनीति को धार मिलेगा।

यही कारण है कि पार्टी ने अब तक इस बिरादरी के लोगों को उम्मीदवार बनाने से परहेज बरत रखा है। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में हिंदुत्व और विकास के मुद्दे पर चुनाव मैदान में उतरी पार्टी ने पहली बार किसी मुसलमान को उम्मीदवार नहीं बनाया था। 

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