हरियाणा में लोकसभा चुनाव में खाता नहीं खुलने की रिपोर्ट से मचा हड़कंप
आरएसएस ने हालात सुधारने के लिए दिया अल्टीमेटम
अमित शाह कल करेंगे खराब हालत का पोस्टमार्टम
भारतीय जनता पार्टी के लिए हरियाणा एक वाटरलू साबित होने की तरफ आगे बढ़ता हुआ नजर आ रहा है. 2014 के लोकसभा चुनाव में 7 सीटें जीतकर अपना डंका बजाने वाली भाजपा के लिए आगामी लोकसभा चुनाव में खाता नहीं खुलने का खतरा मंडरा रहा है। RSS ने भी अपनी रिपोर्ट में पार्टी राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को साफ-साफ बता दिया है कि अगर समय रहते हालात को नहीं सुधारा गया तो पार्टी का प्रदेश में बंटाधार हो सकता है. रिपोर्ट में संगीन हालात को देखते हुए अमित शाह ने 1 सप्ताह के अंदर प्रदेश के सभी बड़े नेताओं को कल दिल्ली में गहन विचार विमर्श के लिए बुलाया है. वह वहां पर पार्टी के सभी बड़े नेताओं के साथ खराब हालात का पोस्टमार्टम करने का काम करेंगे और सफलता हासिल करने के लिए बचे विकल्पों पर राय मांगेंगे.
अमित शाह ने आज बातचीत के लिए मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के अलावा पार्टी प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला, केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह , कृष्णपाल गुर्जर, राव इंद्रजीत , पार्टी प्रभारी अनिल जैन, संगठन मंत्री सुरेश भट, प्रदेश के वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु, कृषि मंत्री ओम प्रकाश धनखड़, स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज को बुलाया है. पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री रामलाल भी इस अवसर पर विशेष रूप से मौजूद रहेंगे.
सन की रिपोर्ट के बाद एक सप्ताह के अंदर पार्टी की विशेष बैठक बुलाना इस बात की तरफ सांप इशारा कर रहा है कि रिपोर्ट ने पार्टी हाईकमान में हड़कंप मचा दिया है और वह हरियाणा में नए सिरे से बिल्डिंग जमाते हुए सफलता दोहराने की नई रणनीति बनाएगी.
भाजपा को आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर प्रदेश में अनुकूल हालात अपने लिए नजर नहीं आ रहे हैं. यही कारण है कि अमित शाह को स्पेशल मीटिंग लेने के लिए मजबूर होना पड़ा है. संघ परिवार ने जो रिपोर्ट अमित शाह के सामने रखी उसमें जहां पिछली बार हारने वाली तीनों सीटों हिसार, सिरसा और रोहतक में जीत के आसार से इंकार किया है वहीं पर अंबाला, कुरुक्षेत्र, करनाल, सोनीपत और भिवानी में हार की आशंका जताई है. रिपोर्ट में फरीदाबाद और गुड़गांव सीट पर जीत के फिफ्टी-फिफ्टी चांस बताए। इस आंतरिक रिपोर्ट के कारण भाजपा हाईकमान में हड़कंप मच गया है इसीलिए तुरंत प्रभाव से मीटिंग बुलाकर हालात को संभालने की कवायद शुरू हो गई है.
अब देखना यह है कि अमित शाह कल की मीटिंग में किस तरह से प्रदेश के सभी नेताओं को फटकार लगाते हैं, किस तरह से उनसे फीडबैक लेते हैं और पिछले सफलता को दोहराने के लिए क्या गुरु मंत्र बताते हैं. भाजपा के लिए इस बैठक का बहुत अधिक महत्व है क्योंकि इस मीटिंग में हालात की जिस नीयत से समीक्षा की जाएगी वही पार्टी के भविष्य में चुनाव परिणामों पर का रास्ता तैयार करने का काम करेगी. अगर प्रदेश के नेताओं ने अमित शाह के सामने सही हालात को पेश नहीं किया और उनको गुमराह करने की कोशिश की तो पार्टी का बंटाधार होने से कोई नहीं रोक पाएगा और अगर पार्टी के प्रदेश नेताओं ने अपनी कमियों को स्वीकारते हुए नए सिरे से काम करने का जुनून दिखाया तो भाजपा के लिए हालात में कुछ सुधार होने की संभावना बन सकती है. यह साफ जाहिर है कि कल की मीटिंग में अमित शाह सांसदों के अलावा प्रदेश सरकार के साढे तीन साल के कार्यकाल पर चर्चा करेंगे और मिल रही खराब रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए सभी की खिंचाई करने का काम करेंगे. अमित शाह प्रदेश की 10 सीटों पर जीतने का ख्वाब रखते हैं लेकिन संघ की रिपोर्ट ने बता दिया है कि अगर पार्टी ने हालात को गंभीरता से नहीं समझा तो 10 सीटों पर जीत की बजाय हर जगह हार का अंडा नजर आएगा. अब देखना यह है कि कल की मीटिंग भाजपा के लिए भविष्य का क्या रोडमैप लेकर समाप्त होती है.
खरी बात यह है कि भाजपा ने पहली बार मिले सत्ता के गोल्डन चांस को समझदारी से भुनाने का काम नहीं किया। 4 साल के दौरान भाजपा सरकारें कभी भी जनता की उम्मीदों की कसौटी पर खरी उतरती नजर नहीं आईं। यही कारण है कि भाजपा की लोकप्रियता का ग्राफ तेजी से नीचे गया है यही कारण है कि.
– अंबाला में सांसद रतन लाल कटारिया बड़ी हार की तरफ अग्रसर नजर आते हैं.
-कुरुक्षेत्र में राजकुमार सैनी भाजपा को ही आंख दिखाते हुए नजर आते हैं.
-करनाल के सांसद अश्वनी कुमार चोपड़ा अगली बार पक्की हार की दहलीज पर खड़े नजर आते हैं.
-हालात अनुकूल नहीं देख सोनीपत के सांसद रमेश कौशिक चुनाव लड़ने के अनिच्छुक नजर आते हैं.
-भिवानी के सांसद धर्मबीर सिंह पहले ही लोकसभा चुनाव लड़ने से इनकार कर चुके हैं.
गुड़गांव के सांसद और केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह पाला बदलने के विकल्प पर गंभीर नजर आते हैं.
– फरीदाबाद के सांसद व केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गुर्जर हार-जीत की किंतु-परंतु में फंसे नजर आते हैं.
-रोहतक में भाजपा जीत हासिल करने के लिए जाट और गैर जाट की खाई को और गहरा करने की जुगत में नजर आती है.
– हिसार में 4 साल बाद भी भाजपा के पास कोई चुनावी जंग जिताऊ चेहरा नजर नहीं आता है.
– सिरसा को हासिल करने के लिए भाजपा के पास कोई कारगर हथियार नजर नहीं आता है.
फिलहाल लोकसभा चुनाव को लेकर भाजपा की हालत पतली ही नजर आती है.
अगर अमित शाह ने संघ की रिपोर्ट को गंभीरता से लेते हुए अपने हिसाब से ग्राउंड रियलिटी के अनुसार रणनीति बनाई तो भाजपा 2-3 सीटें फिर हासिल करने में सफल हो सकती है, वरना उसके लिए खाता खोलना नामुमकिन हो जाएगा।