शारदा पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी राज राजेश्वराश्रम ने शुक्रवार को केंद्र की मोदी सरकार की जमकर आलोचना की। हरिद्वार के जगतगुरु आश्रम के महामंडलेश्वर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम लिए बिना कहा कि देश में बुजुर्गों की उपेक्षा की जा रही है। सरकार से भी उम्र के आधार पर लोगों को रिटायर किया जा रहा है। नेताओं को देश के बजाय अपनी कुर्सी बचाने की चिंता है। चार सौ साल पहले कारोबार के लिए आई एक विदेशी कंपनी ने देश को गुलाम बना कर सदियों तक शोषण किया था। आज सरकार तमाम बहुराष्ट्रीय कंपनियों को देश में न्योता दे रही है जिससे देश की संप्रभुता को खतरा बढ़ गया है।
स्वामी राज राजेश्वराश्रम संन्यासी बनने से पहले आरएसएस के प्रचारक थे। भाजपा नेताओं और संघ के पदाधिकारियों का उनके आश्रम में नियमित आना-जाना रहता है। दो साल पहले आरएसएस के मुखिया मोहन भागवत ने उनके आश्रम में स्वामी प्रकाशानंद की प्रतिमा का अनावरण किया था। पिछले दिनों हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर भी उनके कनखल स्थित आश्रम में पहुंचे थे। अपने पूर्व प्रचारकों के सम्मेलनों में आरएसएस उन्हें अभी भी बुलाता है। वे शुक्रवार को मेरठ के मुसलिम बहुल इलाके में एक प्राचीन शिव मंदिर के जीर्णोद्धार के कार्यक्रम में पहुंचे थे। सरकार पर उन्होंने इसी कार्यक्रम में देशविरोधी फैसले करने का आरोप लगाया।
शंकराचार्य जिस समय देश में धर्म के मार्ग की अनदेखी और सत्तालोलुपता की बढ़ती प्रवृत्ति पर प्रवचन दे रहे थे, समारोह में आरएसएस और भाजपा के कई बड़े नेता मौजूद थे। मंच पर उनके साथ आरएसएस की राष्ट्रीय प्रतिनिधि सभा के इंद्रेश कुमार, क्षेत्र संघ चालक दर्शन लाल अरोड़ा, प्रांत संघ चालक सूर्य प्रकाश टांक, मेरठ के सांसद राजेंद्र अग्रवाल, दो भाजपा विधायक सत्य प्रकाश अग्रवाल, सुरेंद्र त्यागी और उत्तर प्रदेश भाजपा के पूर्व अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी, महानगर भाजपा के पूर्व अध्यक्ष ऋतुराज जैन और मौजूदा अध्यक्ष करुणेश नंदन गर्ग भी मौजूद थे।
इंद्रेश कुमार ने इंडोनेशिया के मुसलमानों की हिंदू देवी-देवताओं में श्रद्धा का जिक्र किया और साथ ही बताया कि भारत के 99 फीसद मुसलमानों के पूर्वज हिंदू ही थे। लिहाजा संस्कृति और परंपराओं में कोई भेद नहीं है। भेद सिर्फ पूजा पद्धति का है। उन्होंने कहा कि अयोध्या के राममंदिर को तोड़ने का दोष केवल बाबर और उनके सेनापति मीर बाकी का है। भारत के मुसलमान उसके लिए दोषी नहीं हैं। इंद्रेश कुमार ने तिब्बत की आजादी को जरूरी बताते हुए कहा कि कैलाश मानसरोवर का चीन के कब्जे से बाहर आना जरूरी है। उन्होंने वहां मौजूद सभी लोगों चीन के उत्पादों का उपयोग नहीं करने की शपथ भी दिलाई।