सीतापुर-अनूप पाण्डेय,राहुल मिश्रा/NOI-उत्तरप्रदेश जनपद सीतापुर में भाजपा सरकार की गड्ढा युक्त सड़कों का सच देखना है तो महाराज नगर आइए ((मुख्य मार्ग जैसे “पानी का दरिया है “और” कीचड़ से जाना है”)) महाराज नगर (सीतापुर ) हजारों की आबादी स्कूली बच्चे वाहन कीचड़ से गुजरने पर मजबूर सुबह की योगी सरकार तो सड़कों को गड्ढा मुक्त करने का दावा 1 साल से भी ज्यादा समय से यानी जब सत्ता संभाली थी तभी से करती आ रही है लेकिन दावे और हकीकत का अंतर देखना है तो लहरपुर विश्वा मार्ग से जुड़े इस क्षेत्र की प्रमुख गांव महाराज नगर आइए इस गांव की सड़क से जोड़ने वाला मार्ग ही सरकारी दावे की पोल खोल कर रख देगा बताते चलें कि विश्वा तहसील क्षेत्र का एक प्रमुख गांव महाराज नगर है 20000 से ज्यादा की आबादी वाला या गांव वैसे तो काफी विकसित है यहां पर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर चिकित्सालय साधन सहकारी समिति तथा आधा दर्जन से ज्यादा सरकारी व निजी विद्यालय और राष्ट्रीय कृत बैंक शाखा के साथ विशाल लहरपुर क्षेत्र की प्रमुख बाजार भी इस गांव में लगती है इतना सब कुछ होने के बावजूद वहां का मुख्य मार्ग गड्ढों में तब्दील हुआ पड़ा है बड़ागांव होने के चलते हजारों की संख्या में लोग जिनमें छोटे-बड़े स्कूली बच्चे भी शामिल हैं इन्हीं गड्ढों की कीचड़ में होकर गुजरने के लिए मजबूर हैं ऐसा नहीं है कि काम वाले इस अव्यवस्था पर चुप बैठे हैं बल्कि उन्होंने कई बार क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों से लेकर शासन प्रशासन तक गुहार लगा चुके हैं लेकिन उनकी फरियाद अब तक अनसुनी पड़ी है इस तरह “सद्भावना का प्रतीक “से ग्रामीणों ने साझा किया अपना दर्द 1.राहुल शुक्ला ने कहा आजादी के बाद से तमाम सरकारी बदली पर यह मार्ग इसी दशा में पड़ा हुआ है 2.लवलीन दीक्षित ने कहा चुनाव के वक्त सब नेता बड़ी-बड़ी बातें करते हैं लेकिन चुनावी शोर खत्म होते ही वह सभी पीछे मुड़कर नहीं देखते दूसरा सवाल यह है कि जनप्रतिनिधि और अधिकारी भी इसी रास्ते से आते जाते हैं तो यह कीचड़ युक्त मार्ग उन्हें क्यों नहीं दिखता 3. मोहम्मद आलम ने कहा यह संपर्क मार्ग सिर्फ महाराज नगर नहीं बल्कि क्षेत्र के आधा दर्जन से ज्यादा गांव को सड़क से जोड़ता है फिर भी इसका या हार पूरे सिस्टम पर सवाल उठाता है 4. श्याम गुप्ता ने कहा कुछ ही समय बाद फिर चुनाव आने वाले हैं फिर नेता आएंगे बड़े बड़े वादे करेंगे और फिर फुर हो जायेंगे और हम सब जहां के तहां ठगे ही रह जाएंगे