नई दिल्ली। देश में अगले चार-पांच महीनों में कई राज्यों में चुनाव होने हैं। उसके बाद 2019 का आम चुनाव होना है। जिसका काउंटडाउन विधानसभा चुनावों के साथ शुरू हो गया है। राज्य में होने वाली चुनावी रैलियों में राज्य से ज्यादा केंद्रीय मुद्दों पर ज्यादा चर्चा हो रही है। लेकिन आज हम आपके सामने भारतीय अर्थव्यवस्था की वो समस्याएं लेकर आए हैं जो आगाती 2019 के चुनावों में केंद्र की सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए बड़ा सिरदर्द बन सकती है। आइए आपको भी बताते हैं।
कैश क्रंच पर भी पूछे जाएंगे सवाल
जब देश में नोटबंदी की गई तो देश की सरकार और पीएम मोदी ने तर्क दिया कि 1000 रुपए की वजह से देश में कालाधन का इजाफा हो रहा है। ऐसे में नोटबंदी करना जरूरी हो गया है। जिसके बाद मार्केट में 2000 रुपए का नोट लाया गया। आज वो ही नोट कालाधन एकत्र करने का सबसे बड़ा कारण बन गया है। एटीएम में 2000 रुपए का नोट नहीं है। जिसके बाद बीते दिनों देश को फिर से नोटबंदी जैसे माहौल से गुजरना पड़ा। सरकार और आरबीआई ने दो दिन में हालात को सामान्य करने की बात कही थी। लेकिन वो दावे भी हवा हो चुके हैं। ऐसे में 2019 के चुनावों में देश के पीएम को यह सवाल कई बार परेशान करने वाला है।
बैंकिंग घोटालों से गिरा एक्सपोर्ट
पीएनबी घोटाले के बाद सरकार की ओर से बरती जा रही सख्ती का कारोबार पर काफी गहरा असर पड़ा है। आरबीआई की ओर से गारंटी पत्रों पर रोक लगाने से निर्यात में काफी गिरावट देखने को मिली है। मौजूदा साल के मार्च महीने से अप्रैल के निर्यात में 19 से 23 फीसदी तक की गिरावट देखने को मिली है। रेडीमेड कपड़ों का एक्सपोर्ट 0.6 फीसदी कम हुआ है। फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशंस ने इस सिलसिले में आरबीआई और फाइनेंस मिनिस्टरी को पत्र भी लिखा है। यह भी पीएम मोदी के लिए आगामी चुनावों के लिए बड़ा सिरदर्द होगा।
पेट्रोल डीलज के दाम
देश की जनता की जेब पर सबसे ज्यादा असर पेट्रोल औी डीजल के दाम डालते हैं। क्योंकि डीजल के दाम बढ़ने से आम लोगों के जीवन में उपयोग होने वाली वस्तुओं के दाम भी अपने आप बढ़ जाते हैं। मंहगाई बढ़ती है। लेकिन देश में पेट्रोल औी डीजल के दाम राजधानी की स्पीड से भाग रहे हैं। सरकार की ओर से इसे रोकने का कोई प्रयास नहीं कर रही है। पेट्रोल की कीमत देश की राजधानी में 75 रुपए के आसपास पहुंच गई है। वहीं डीजल भी 66 रुपए प्रति लीटर के आसपास बेचा जा रहा है। जिससे देश की जनता काफी त्रस्त आ चुकी है। सरकार बनने से अब तक सरकार डीजल और पेट्रोल पर 9 बार एक्साइज ड्यूटी बढ़ा चुकी है। ऐसे में 2019 के चुनावों के प्रधानमंत्री मोदी के पेट्रोल डीजल के दाम बड़ा सिरदर्द साबित होंगे।
किसानों ना मिलने वाना समर्थन मूल्य
केंद्र सरकार अपने बजट में किसानों की आय को दोगुना करने का वादा कर चुकी है। लेकिन अभी तक सरकार देश के किसानों को उनकी फसल समर्थन मूल्य देने में कामयाब नहीं हो सकी है। ताज्जुब की बात तो ये है कि किसानों को देश की मंडियों में दाल और चना समर्थन मूल्य से नीचे के दामों में बेचना पड़ रहा है। साथ ही किसानों की आत्महत्या भी सरकार के लिए बड़ा टास्क बन गया है।