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Thursday, September 12, 2024

भारतीय किसान यूनियन (राष्ट्र शक्ति) के पदाधिकारियो द्वारा संगठन का किया गया विस्तार ।

सीतापुर-अनूप पाण्डेय,अरुण शर्मा/NOI-उत्तरप्रदेश जनपद सीतापुर के पिसावां क्षेत्र के अकोहरा गांव में भारतीय किसान यूनियन (राष्ट्र शक्ति) के पदाधिकारियो द्वारा संगठन का विस्तार किया गया इस मौके पर सीतापुर जिला प्रभरी सौरभ सिंह (सोनू) जिलाध्यक्ष गया प्रसाद जिला सचिव अरुण शर्मा सदस्य बाबूराम,रामचंद्र कश्यप,हरिनाम,राधिका,हीरालाल,मुलायम सिंह यादव,श्रवण कुमार,रामसरन कश्यप,बबलू,राकेश,सोनू शर्मा,इंद्रपाल मौर्य,श्रीराम,इंद्रपाल मौर्य,दाता राम,रामसरन शर्मा,राजेश यादव,रामशंकरसक्सेना,रामचंद्र कश्यप,रामु सक्सेना,रामशंकर कश्यप,रामचंद्र सक्सेना,रामनरेश मौर्य,भूरे यादव,बब्बे कश्यप,रामसरन यादव,महिपाल यादव आदि किसानों ने सदस्यता दी गई।
इस अवसर पर महोली प्रभरी संतोष दीक्षित ने सम्बोधित करते हुए बताया कि एक दाना चावल का तैयार होने मे कितना समय लगता है,120 दिन जब किसान का पसीना मिट्टी मे बूंद बूंद मिलता है तब जाकर अन्न पैदा होता है और ये बता दूं कि हमारे देश मे खाना बर्बाद नही किया जाता है अगर वही देश किसानो को बर्बाद होते देखता रहे तो हम किसके पास जाएंगे
खाना खिलाने वाले से कहा जाता है “अन्नदाता सुखी भवतु”
ये अन्नदाता है खाना बनाने वाला या खाना परोसने वाला अन्नदाता नही है बल्कि अन्नदाता तो अनाज उगाने वाला होता है
और ये खेती जैसा उपहार हमे ईश्वर ने दिया है
सेलफोन के बिना हम जिन्दा रह सकते हैं
टीवी ,एसी के बिना भी हम रह सकते है
जो टीवी,एसी बनाते हैं वो करोड़पति होते हैं मगर अन्न उगाने वाला किसान कड़ी मेहनत और धूप मे पसीना बहाने के बावजूद दिन ब दिन गरीब होता जा रहा है फैक्ट्री लगाना सही है पर कृषि योग्य भूमि को बर्बाद करके फैक्ट्री लगाना गलत है
इस देश मे कितनी ही बंजर जमीने हैं क्यूं ? क्योंकि वहां सिचाई के साधन नही हैं वहां पर पानी का अभाव है इस लिये खेती करने मे परेशानी उठानी पड़ती है
इस देश मे पिछले 10 सालों मे 1 लाख 75 हजार 205 के लगभग किसान आत्महत्या कर चुके हैं
हर आधे घंटे मे एक किसान आत्महत्या कर रहा है ये जानते हैं
लेकिन सच्चाई यही है
जहां मौत इतनी सस्ती है वो देश कभी आगे नही बढ़ सकेगा वही जिला प्रभारी सौरभ सिंह (सोनू) बताया कि तकरीबन 10 लाख से अधिक किसान अपने परिवार का पेट पालने के लिये शहर को मजदूरी करने चले जाते हैं
जो इस देश की रीढ की हड्डी हैं वो शहर की बिल्डिंगो मे चौकीदारी करने चले जाते हैं
जो किसान हमारा भगवान है अन्नदाता कहलाता है वही मंदिर और मस्जिद के बाहर बैठकर भीख मांगने को मजबूर हो रहा है
एक कार्पोरेट पर काम करने वाला हजारों करोड़ रुपये उधार लेकर विदेश भाग जाता है वो वहां बैठकर विदेशी वीयर पी रहा है
और पांच या दस हजार रुपये उधार लेने वाला अन्नदाता जहर पीकर अपनी ही जमीन पर आत्महत्या कर रहा है
इन कार्पोरेट जगत की काली करतूत की वजह से हमारी हरियाली चली जा रही है खेत को सींचने वाली नदियों मे जहरीला पानी छोड़कर नदियों के पानी को जहरीला बना रही हैं
ये मल्टीनेशनल कम्पनियां हमारी खेती पर कब्जा करके उन्हे खत्म करती जा रही हैं ये बात न तो किसी को दिखाई दे रही हैं और न ही इस पर कोई रोक लगवा पा रहा है इस मौके पर जिलाध्यक्ष गया प्रसाद शर्मा ने कहा कि
अगर हम साबुन खरीदने जाते हैं तो उनका रेट फिक्स है एक रुपया भी कम है तो दुकानदार नही देगा क्योंकि उस साबुन की कीमत फैक्ट्री के मालिक ने फिक्स कर रखा है
लेकिन हम किसानो की फसल पर सरकार का कब्जा होता है
हमारी फसल का रेट सरकार तय करती है यूरिया ,डीएपी, तथा अन्य कीटनाशक पदार्थों का रेट प्रतिवर्ष बढता जाता है लेकिन हम किसानो की फसल की कीमत प्रतिवर्ष घटती जा रही है वही जिला महासचिव अरुण शर्मा ने बताया कि
हर जगह दलाली चल रही है
गेहूं बेचने जाओ तो दलाल गन्ना बेचने जाओ तो दलाल सब्जी बेचने जाओ तो दलाल और सरकार कहती है इस देश से दलाली खत्म होनी चाहिए
आखिर ये दलाली खत्म कौन करेगा??
बस अब बहुत हो चुका है
अब अगर हम किसानो का शोषण किया जाता रहा तो वो दिन दूर नही जब इस देश मे एक किसान क्रांति का आगाज होगा जिसकी जिम्मेदारी सरकार पर होगी इस मौके पर काफी संख्या में किसान मौजूद रहे।

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