सीतापुर-अनूप पांडेय/NOI-उत्तरप्रदेश जनपद सीतापुर के
पिसावां सरकार जनता के विकास हेतु एक तरफ़ योजनाओं के विस्तार में लगी हुई है वहीं दूसरी तरफ़ ग्राम प्रधान व बीडीओ की मिलीभगत से जनता को मिलने वाली सुविधाओं में जमकर भृष्टाचार की खबरें लगातार प्रकाश में आती रहती हैं। ऐसा ही एक मामला सीतापुर जिले के पिसावां ब्लॉक के अंतर्गत बद्दापुर गांव में देखने को मिला जहां पर गांव के ही निवासी छोटेलाल ने ग्राम प्रधान पर आरोप लगाते हुए बताया कि सन 1990 में उन्होंने ने घर बनवाने के साथ साथ शौचालय का निर्माण भी कराया था अपने निजी ख़र्चे से जब सरकारी शौचालय निर्माण की बारी आयी तो प्रधानपति सोनपाल सिंह ने छोटेलाल से कहा कि आपको शौचालय की राशि मिल जाएगी,परंतु प्रधानपति ने स्वयं शौचालय की राशि हड़प ली। ऐसे ही एक मामले में गांव के एक व्यक्ति मकरंद सिंह ने बताया कि वर्षों से वह कच्ची दीवारों से युक्त घास फूस के छप्पर के नीचे राह रहे हैं। सरकार द्वारा प्रदत्त आवास की सूची में उनका नाम था परंतु आवास के एवज़ में 50000 की मांग पूरी न कर पाने के कारण आज तक भ्रष्टाचारियों द्वारा मकरंद को आवास से वंचित रखा गया है। वहीं गांव के विकास की अन्य जमीनी हक़ीक़त की बात करें तो सरकारी हैण्डपम्पों का उपयोग पानी के लिए नही बल्कि पशुओं को बांधने हेतु खूंटे के रूप में किया जा रहा है।इस पर ग्रामीणों का कहना था कि इन हैण्डपम्पों की मरम्मत हेतु कई बार ग्राम प्रधान से कहा गया परंतु जिमीदारों द्वारा कोई ध्यान नही दिया गया। इस संदर्भ में खंड विकास अधिकारी पिसावां से फोन द्वारा संपर्क साधने की कोशिश की गई तो कई प्रयासों के बाद भी उनसे सम्पर्क नही हो पाया ।
ऐसी स्थिति में यह बहुत जटिल प्रश्न जनता के मन मे उभरकर आ रहा है कि आख़िर कैसे होगा ग्रामीण अंचल का विकास जब ज़िम्मेदार ही योजनाओं को भृष्टाचार की बलि चढ़ाकर स्वयं का पेट भरने में लगे हों और सक्षम अधिकारी मौन व्रत धारण कर अनजान बन जाएं ।