योगी सरकार ने जिस तरह डंके की चोट पर ये बात कही थी कि उसके राज में भृष्टाचारी अधिकारियों की कोई जगह नही है और अगर कोई इसमे लिप्त पाया गया तो उसकी खैर नही,अब सवाल यही से उठता है।
सवाल ये है कि जब आप भ्र्ष्टाचार के इतने विरोधी है तो आपके विभाग में ऐसे अधिकारी क्यों हैं जो ना सिर्फ भ्र्ष्टाचार में लिप्त हैं बल्कि इसी मामले में उनका निलंबन भी हो चुका है।हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश बीज विकास निगम में कार्यरत ग्रेट2 बीज उत्पाद अधिकारी एस. के.सिह की जिन पर किसानों के साथ धन उगाही का संगीन आरोप भी लगा और वो इसमे दोषी भी करार दिए जा चुके हैं बावजूद इसके उनका निलम्बन वापस हुआ और बाइज़्ज़त उसी पद पर फिर से आसीन हो गए है।
आरोप लगाने वाले किसान हैं जिन्होंने न्यूज़ वन इंडिया तक अपनी बात पहुंचाई है किसानों का कहना है कि जब ये साहब फैज़ाबाद परियोजना देख रहे थे तब इन्होंने उन किसानों से उनके ही बोनस का पैसा देने के लिए खूब दौड़ाया और उस बोनस के बदले रकम भी ऐठ ली वो भी ये कह कर के बड़े अधिकारी तक कुछ पहुंचाऊंगा तब बोनस मिलेगा।
फिर किसानों ने बड़ी मुश्किल से तकरीबन एक लाख की राशि का जुगाड़ कर इन महाशय को दे दिया पर किसानों को बोनस का पैसा फिर भी नही मिला,उसके बाद एस के सिह साहब ने किसानों से कहा कि वो पैसा तो ऊपर चला गया हमको क्या दोगे इसपर किसान नाराज़ हुए तो इससे परेशान किसानों ने उनकी शिकायत मुख्यालय को भेजी।
मुख्यालय शिकायत आने के बाद एक जांच टीम गठित हुई और उसने किसानों के आरोपों पर अपनी मोहर लगा दी जिसके बाद एस के सिह साहब का निलंबन हो गया।कार्यालय आदेश संख्या 5250 दिनांक 24 मार्च 2018 को इनका निलम्बन हो गया,लेकिन 19 जून 2018 को उनका निलम्बन भी वापस हो गया वो भी बाइज़्ज़त।
अब ऐसे में सरकार की कही बात पर कोई भरोसा करे तो कैसे करे जब उनकी नाक के नीचे ही ऐसे भृष्ट अधिकारी कुर्सी पर बैठे है जो उन किसानों से ही उगाही करने में मसरूफ हैं जो किसान अगर अनाज ना उगाये तो सब भूख से मर जाये।किसान अतहर हुसैन ने ये सारा मामला हमे फोन के माध्यम से बताया और वो आदेश भी है जिसमे इनका निलम्बन और फिर उनकी जॉइनिंग का पूरा उल्लेख है।अब कौन देगा इसका जवाब ये बताइये ऐसे अधिकारी रहेंगे तो किसान आत्महत्या के सिवा कर भी क्या पायेगा फिर आप कहते रहियेगा के हमारी सरकार किसानों के साथ अन्याय नही होने देगी जबकि हकीकत में वही हो रहा है।आप भी सुनिये अतहर सहित उन किसानों की जुबानी सारी कहानी जिन्हें अपना पैसा ही मांगना कितना भारी पड़ रहा है…