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Thursday, January 16, 2025

मणिपुर के स्वास्थ्य मंत्री ने दिया इस्तीफा, गिर सकती है भाजपा सरकार

मणिपुर में एक महीने पहले गठित भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत गठबंधन सरकार को करारा झटका लगा है। नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) के खाते से वरिष्ठ मंत्री एल. जयंतकुमार ने अपने अधिकार क्षेत्र में मुख्यमंत्री एन. बिरेन सिंह के ‘दखल’ को लेकर शुक्रवार शाम को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। जयंत कुमार नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) के विधायक हैं, जो मणिपुर में भाजपा की सहयोगी पार्टी है। अगर बात नहीं बनीं और एनपीपी के 3 अन्य विधायक भी मंत्री के साथ आ गए तो राज्य सरकार गिर सकती है। बताया जाता है कि स्थिति संभालने के लिए मुख्यमंत्री बिरेन सिंह नई दिल्ली पहुंच गए हैं, यहां पार्टी आलाकमान के साथ इस मुद्दे पर उनकी चर्चा संभव है।

इसलिए मंत्री ने इस्तीफ

मंत्री के पास स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ-साथ तीन अन्य विभागों का भी प्रभार था। उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री उनके कार्यो में अनावश्यक हस्तक्षेप कर रहे हैं। इस्तीफा पत्र में कहा गया है कि उन्हें मंत्री बनाने के लिए वह मुख्यमंत्री के शुक्रगुजार हैं। लेकिन, अपने काम में ‘दखलंदाजी’ के कारण वह अपने पद पर बने रहने में सक्षम नहीं हैं। उल्लेखनीय है कि बिरेन सिंह के पास कार्मिक मंत्रालय भी है और इसी हैसियत से उन्होंने जयंतकुमार से बिना परामर्श लिए स्वास्थ्य निदेशक ओकराम इबोमचा को निलंबित कर दिया था। इबोमचा के खिलाफ कोई खास आरोप नहीं हैं। निलंबन आदेश के मुताबिक, उनके खिलाफ ‘अनुशासनात्मक कार्रवाई’ की गई है। इबोमचा कांग्रेस की पिछली सरकार के मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह के नजदीकी रिश्तेदार हैं।

एनपीपी के दूसरे मंत्री भी हैं नाराज

सूत्रों का कहना है कि एनपीपी के कुछ अन्य विधायक, जिन्हें मंत्री बनाया गया है, वे भी अपने विभाग को लेकर नाखुश हैं।

उरीपोक से एनपीपी विधायक तथा पूर्व पुलिस महानिदेशक वाई. जॉयकुमार कथित तौर पर गृह मंत्रालय चाहते थे, जो उग्रवादग्रस्त मणिपुर में महत्वपूर्ण है। लेकिन बीरेन ने गृह विभाग अपने पास रखा है। जॉयकुमार राज्य के उपमुख्यमंत्री हैं।
60 सीट वाली विधानसभा में 32 विधायकों के समर्थन से बनी थी सरकार
मणिपुर में पहली बार भाजपा की अगुवाई में सरकार बनी है। 32 विधायकों के समर्थन से बीरेन सिंह ने विधानसभा में बहुमत साबित किया था। भाजपा नेता बीरेन सिंह को 15 मार्च को मुख्‍यमंत्री पद की शपथ दिलाई गई थी। भाजपा ने 11 मार्च को नतीजे आने के बाद अगले दिन ही सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया था। जिस पर कांग्रेस ने करारा हमला किया था। कांग्रेस ने बहुमत के लिए हेरफेर का आरोप लगाते हुए कहा कि गोवा तथा मणिपुर में उसे सबसे ज्यादा सीटें मिलीं, लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने तोड़जोड़ कर उसे सरकार नहीं बनाने दिया। उन्होंने कहा कि भाजपा ने गोवा तथा मणिपुर में ‘बहुमत के लिए हेरफेर किया’, जबकि दोनों ही राज्यों में भाजपा दूसरे स्थान पर थी।

यह है सीटों की स्थिति

मणिपुर में भाजपा 21 सीटें जीतकर दूसरे नंबर की पार्टी बनी थी और कांग्रेस 28 सीटें जीत कर पहले स्थान पर थी। हालांकि, 60 सदस्यों वाली विधानसभा में दोनों ही पार्टियां 31 सीटों का जादुई आंकड़ा पार करने में नाकाम रहीं। जिसके बाद भाजपा ने एनपीपी के 4, एनपीएफ के 4, लोक जनशक्ति पार्टी के 1 और एक कांग्रेस विधायक के समर्थन से सरकार बनाने का दावा पेश किया।
एनपीपी के अलग होने से गिर सकती है सरकार
60 सदस्यों वाली विधानसभा में भाजपा के पास मात्र 21 सीटें ही हैं। कांग्रेस मुक्त भारत के सपने के तहत भाजपा जोड़-तोड़ कर मणिपुर में सरकार तो बना ली है। लेकिन अब जिस तरह से नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) के खाते से वरिष्ठ मंत्री एल. जयंतकुमार ने बगावत दिखाई है। इसके बाद अगर एनपीपी अपने समर्थन वापस ले लेती है तो भाजपा की सरकार गिर जाएगी, क्योंकि एनपीपी के पास 4 विधायक हैं। उसके अलग होते ही भाजपा सरकार 32 से 28 के आंकड़े पर आ जाएगी, जो कि बहुंत से 3 सीटें कम है।

एनपीपी के समर्थन से बन सकती है कांग्रेस की सरकार

कांग्रेस 60 सदस्यों वाली मणिपुर विधानसभा में 28 सीटें जीत कर सबसे बड़ी पार्टी है। उसे पहुमत के लिए मात्र 3 सीटों की दरकार है। अगर एनपीपी अपना समर्थन कांग्रे को दे देती है तो कांग्रेस बहुमत के जादुई आंकड़े से एक आगे यानी 32 का आंकड़ा प्राप्त कर लेगी, जिससे वहां कांग्रेस की सरकार आसानी से बन सकती है।

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