लखनऊ, शैलेन्द्र कुमार। आज-कल हर दिन चुनावी नही जुबानी जंग का रूप लेता दिखाई दे रहा है। हर दिन किसी न किसी पार्टी की जनसभा होती है और पार्टी का कोई न कोई नेता अपनी विरोधी पार्टी या पार्टी के नेता पर जुबानी हमला करता दिखाई देता है। और हमलों का तो इतना माहौल बन गया है कि जिस दिन वोटिंग बन्द होंगी और सभी रिजल्ट के इंतजार में शान्त होंगे, उस दिन प्रदेश की जनता का तो दिन भी नहीं कटेगा।
क्योंकि राजधानी की जनता को रोज के रोज जुबानी जंगों की आदत सी पड़ गई है। बता दें कि मणिपुर में 4 मार्च को चुनाव होने हैं, लेकिन जंग अभी से शुरू हो गई है। मणिपुर मतदान से पहले पार्टी के चुनाव अभियान के सिलसिले में मंगलवार को यहां पहुंचे भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने राज्य में कांग्रेस सरकार पर भ्रष्टाचार में डूबे रहने का आरोप लगाया।
मणिपुर में उन्होंने आदिवासी-बहुल सदर हिल्स जिले में एक रैली को संबोधित किया। और बता दें कि इसी इलाके को जिले का दर्जा देने के लिए विरोध में राज्य में बीते साल 1 नवंबर से ही आर्थिक नाकेबंदी चल रही है। मणिपुर की जनता को साधते हुए कांग्रेस पर हमला करते हुए शाह ने मुख्यमंत्री पर आधी-अधूरी परियोजनाओं के उद्घाटन के साथ ही सरकार पर केंद्रीय धन के दुरूपयोग का भी आरोप लगाया।
उन्होंने ये भी कहा कि हर साल मनरेगा के तहत केंद्र सरकार करोड़ों रूपये की रकम जारी करती है। लेकिन इबोबी सरकार के भ्रष्टाचार के चलते यह रकम गरीबों तक नहीं पहुंच पाती। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी के सत्ता में आने पर भ्रष्टाचारी को नहीं बख्शा जायेगा और मणिपुर एक आदर्श राज्य बन सकता है।
वहीं दूसरी तरफ मंगलवार को ही कांग्रेस उम्मीदवारों के समर्थन में यहां एक चुनावी रैली को संबोधित करने आये कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने भी भाजपा और पीएम नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधते हुए नगा उग्रवादी संगठन नेशनल सोशलिस्ट कौंसिल के इसाक-मुइवा गुट के साथ हुए समझौते का खुलासा करने को कहा है।
उन्होंने कहा कि नगा समझौते पर हस्ताक्षर करने से पहले मणिपुर के मुख्यमंत्री इबोबी सिंह को भी भरोसे में लिया गया। इसे एक प्री-पेड समझौता करार देते हुए राहुल ने कहा कि मोदी के अलावा किसी को इस समझौते के बारे में कोई जानकारी नहीं है।
अपनी पार्टी की तारीफ करके मणिपुर की जनता का ध्यान खींचते हुए कहा उन्होंने कहा कि कांग्रेस मणिपुर की क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करने के लिए कृतसंकल्प हैं।
वोटिंग चाहे बाद में हो मगर हमले पहले होते हैं। और सिर्फ अपनी पार्टी के गुणों को गिनाया जाता है और कोई भी जनता से नहीं पूछता है कि उसे क्या चाहिए। उसकी इच्छा क्या है? सब अपनी-अपनी बातें बताने में ही लगे रहते हैं।