गौरतलब है कि गोवर्धन के दानघाटी मंदिर पर श्रद्धालुओं द्वारा चढ़ाया जाने वाला दूध परिक्रमा मार्ग में दूरी तक बहता रहता है. इसके अलावा श्रद्धालुओं द्वारा धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मनोकामना की पूर्ति के लिए गिरिराज महाराज को दूध चढ़ाते हैं. पूरे परिक्रमा मार्ग में धार से दूध चढ़ाते हुए चलते हैं, जिससे यह दूध परिक्रमार्थियों के पैरों के नीचे आता है.
इस स्थिति से निजात पाने के लिए जिलाधिकारी ने एक नया रास्ता निकालते हुए मंदिरों में अनियंत्रित मात्रा में दूध चढ़ाने के बजाए एक व्यक्ति को एक सौ मिली तक ही दूध चढ़ाने की अनुमति देने के निर्देश दिए हैं.
उन्होंने मानसी गंगा का प्रदूषण दूर करने के भी उपाय करने को जल निगम से कहा है. मंदिर प्रबंधन को यह व्यवस्था एक मार्च से लागू करनी होगी.
इसके अलावा परिक्रमा मार्ग में पांच स्थानों पर जनसुविधा केंद्रों का निर्माण किया जाएगा.