नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने 16 मार्च को गोवा में विश्वास मत साबित कराने का आदेश दिया है. मनोहर पर्रिकर को सरकार बनाने के लिए गवर्नर के न्यौते के खिलाफ कांग्रेस की याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को यह निर्देश जारी किया. इस पर कांग्रेस के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने विश्वास मत हासिल करने के लिए गवर्नर द्वारा दिए गए 15 दिन को घटाकर सिर्फ दो दिन कर दिया…अगर पर्रिकर दो दिन के लिए मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं तो बनें.”
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के कुछ ही घंटे बाद मनोहर पर्रिकर फिर से गोवा के मुख्यमंत्री बन गए. लेकिन यह ताजपोशी दो दिन की है या लंबी चलेगी यह गुरुवार को पता चलेगा. गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक उन्हें विश्वास मत हासिल करना है.
हालांकि पहले राज्यपाल मृदुला सिन्हा ने उन्हें 15 दिन की मोहलत दी थी, मगर सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस की अर्ज़ी पर सुनवाई करते हुए यह समय घटा दिया. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस का यह दावा नहीं माना कि वह सदन की सबसे बड़ी पार्टी है.
एडिशनल सॉलिसिटर जनरल मनिंदर सिंह ने एनडीटीवी से कहा, “कांग्रेस की तरफ से यह दावा किया गया कि उसे प्रिफरेंशियल ट्रीटमेंट मिलना चाहिए क्योंकि वह सबसे बड़ी पार्टी है…लेकिन कोर्ट पर कांग्रेस के दावे का कोई असर नहीं हुआ.”
उधर कांग्रेस के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने विश्वास मत हासिल करने के लिए गवर्नर द्वारा दिए गए 15 दिन को घटाकर सिर्फ दो दिन कर दिया…अगर पर्रिकर दो दिन के लिए मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं तो बनें.”
विश्वास मत की तारीख तय होने के साथ ही सबकी नज़रें गोवा विधानसभा के समीकरण पर है. 40 सीटों वाली विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 21 का है. कांग्रेस के पास 17 विधायक हैं. जबकि बीजेपी के पास 13 विधायक हैं और उसे महाराष्ट्र गोमांतक पार्टी और गोवा फॉर्वर्ड पार्टी के तीन-तीन विधायकों का समर्थन हासिल है. एनसीपी के पास सिर्फ एक विधायक है और वह कांग्रेस के साथ जा सकती है. जबकि तीन निर्दलीय विधायकों के पास सत्ता की चाबी है. बीजेपी का दावा है कि निर्दलीय उसके साथ हैं.
बीजेपी के प्रवक्ता नलिन कोहली ने कहा, “हम गवर्नर के सामने साबित कर चुके हैं कि हमारे साथ 40 सीटों वाली विधानसभा में 2 निर्दलीय विधायकों समते 21 विधायक हैं.”
कांग्रेस की याचिका पर कोर्ट के फैसले से साफ है कि गोवा विधानसभा में विश्वास मत से पहले बहुमत का जो खेल 15 दिन चल सकता था वह अब सिर्फ दो दिन में निपट जाएगा और इस विश्वास मत पर सुप्रीम कोर्ट की भी नजर रहेगी.