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Wednesday, February 19, 2025

मन्ना सिंह हत्याकांड: मुख्तार अंसारी समेत 8 आरोपी बरी, 8 साल बाद 3 दोषी करार



लखनऊः उत्तर प्रदेश के मऊ जिले में ठेकेदार मन्ना सिंह व साथी राजेश राय हत्याकांड मामले में बुधवार को फास्ट ट्रैक कोर्ट ने आठ साल बाद विधायक मुख्तार अंसारी सहित आठ लोगों को बरी कर दिया, वहीं तीन लोगों को दोषी करार दिया है। यह फैसला फास्ट ट्रैक कोर्ट के न्यायाधीश आदिल आफताब अहमद की अदालत ने सुनाया।
मऊ फास्ट ट्रैक कोर्ट के न्यायाधीश आदिल आफताब अहमद ने अपने आदेश में कहा, “मुख्तार अंसारी, राकेश पांडेय उर्फ हनुमान पांडेय, अनुज कन्नौजिया, उमेश सिंह, रजनीश सिंह, उपेंद्र उर्फ कल्लू सिंह, संतोष सिंह और पंकज सिंह को सभी आरोपों से दोषमुक्त करार दिया जाता हैं। साथ ही अमरेश कन्नौजिया, अरविंद यादव और जामवंत उर्फ राजू को दोषी ठहराया जाता है।”

मुख्तार के चचेरे भाई मंसूर अंसारी ने बताया, “न्यायालय ने इस हत्याकांड में विधायक मुख्तार अंसारी सहित आठ लोगों को बरी कर दिया है और तीन लोगों को इस मुकदमे में दोषी पाया है, जिसकी सजा न्यायालय एक-दो दिन में सुनाएगी।”

वही हत्या के मामले जमा अर्थदंड में से 80 प्रतिशत मन्ना सिंह के परिजनों को और हत्या के प्रयास में जमा अर्थदंड में से 80 प्रतिशत राजेश राय के परिजनों को देने का आदेश दिया। इस दौरान मुख्तार अंसारी को छोड़ शेष सभी आरोपी कोर्ट में उपस्थित रहे।

अजय प्रकाश उर्फ मन्ना सिंह की हत्या के मामले में फैसला आने के बाद परिवार के लोगों में निराशा दिखी। इस दौरान मन्ना सिंह के भाई अशोक सिंह ने कहा कि वे इस फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय इलहाबाद में अपील दाखिल करेंगे।

गौरतलब है कि ठेकेदार मन्ना सिंह व इनके साथी राजेश राय की 29 अगस्त, 2009 को कोतवाली शहर के नरई बांध के पास यूनियन बैंक के पास बाइक सवार बदमाशों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। मामले में हरेंद्र सिंह की तहरीर पर पुलिस ने मुख्तार सहित 11 लोगों पर केस दर्ज किया था। आठ साल तक चली सुनवाई के दौरान 22 गवाहों में से 17 गवाह पेश किए गए।

कैसे ठेकेदारी के मामले से डॉन बन गया मुख्‍तार

– मुख्तार अंसारी गाजीपुर के मोहम्मदाबाद युसूफपुर का रहने वाले हैं।

– क्राइम की दुनि‍या में पहली बार मुख्‍तार का नाम 1988 में आया।

– मंडी परिषद की ठेकेदारी को लेकर लोकल ठेकेदार सच्चिदानंद राय की हत्या के मामले में मुख्‍तार का नाम सामने आया।

– इसी दौरान त्रिभुवन सिंह के कांस्टेबल भाई राजेंद्र सिंह की हत्या बनारस में कर दी गई। इसमें भी मुख्तार का ही नाम सामने आया।

माफि‍या डॉन ब्रजेश सिंह से हुई दुश्‍मनी

– 1990 में गाजीपुर जिले के तमाम सरकारी ठेकों पर ब्रजेश सिंह गैंग ने कब्जा शुरू कर दिया। अपने काम को बनाए रखने के लिए मुख्तार अंसारी के गिरोह से उनका सामना हुआ। यहीं से ब्रजेश सिंह के साथ इनकी दुश्मनी शुरू हो गई थी।

– 1991 में चंदौली में मुख्तार पुलिस की पकड़ में आए, लेकिन रास्ते में दो पुलिस वालों को गोली मारकर फरार होने का आरोप है।

– इसके बाद सरकारी ठेके, शराब के ठेके, कोयला के काले कारोबार को बाहर रहकर हैंडल करना शुरू किया।

– 1996 में एएसपी उदय शंकर पर जानलेवा हमले में उनका नाम एक बार फिर सुर्खियों में आया।

– 1996 में मुख्तार पहली बार एमएलए बन गए। उन्होंने ब्रजेश सिंह की सत्ता को हिलाना शुरू कर दिया।

– 1997 में पूर्वांचल के सबसे बड़े कोयला व्यवसायी रुंगटा के अपहरण के बाद उनका नाम क्राइम की दुनिया में देश में छा गया।

– 2002 में ब्रजेश सिंह ने मुख्तार अंसारी के काफिले पर हमला कराया। इसमें मुख्तार के तीन लोग मारे गए। ब्रजेश सिंह घायल हो गए। इसके बाद मुख्तार अंसारी पूर्वांचल में अकेले गैंग लीडर बनकर उभरे।

2005 से हैं जेल में बंद

– अक्टूबर 2005 में मऊ में हिंसा भड़की। इसके बाद उन पर कई आरोप लगे, जिन्हें खारिज कर दिया गया।

– उसी दौरान उन्होंने गाजीपुर पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया, तभी से वे जेल में बंद हैं।

– इसी दौरान कृष्णानंद राय से मुख्‍तार के भाई अफजल अंसारी चुनाव हार गए। मुख्तार पर आरोप है कि‍ उन्‍होंने शार्प शूटर मुन्ना बजरंगी और अतिकुर्रह्मान उर्फ बाबू की मदद से गोडउर के पास 5 साथियों सहि‍त कृष्णानंद राय की हत्या करवा दी।

– 2010 में अंसारी पर राम सिंह मौर्य की हत्या का आरोप लगा। मौर्य, मन्नत सिंह नामक एक स्थानीय ठेकेदार की हत्या का गवाह था। बसपा ने मुख्तार और उनके दोनों भाइयों को 2010 में निष्कासित कर दिया।

क्‍या था कृष्णानंद राय मर्डर केस

– साल 2005 में मुख्तार अंसारी जेल में बंद थे।

– इसी दौरान बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय को उनके 6 साथियों सहि‍त सरेआम गोलीमार हत्या कर दी गई।

– हमलावरों ने 6 एके-47 राइफलों से 400 से ज्यादा गोलियां चलाई थी।

– मारे गए सातों लोगों के शरीर से 67 गोलियां बरामद की गई थी।

-इस हमले का एक महत्वपूर्ण गवाह शशिकांत राय 2006 में रहस्यमई परिस्थितियों में मृत पाया गया था।

– उसने कृष्णानंद राय के काफिले पर हमला करने वालों में से अंसारी और बजरंगी के निशानेबाजों अंगद राय और गोरा राय को पहचान लिया था।

– कृष्णानंद राय की हत्या के बाद मुख्तार अंसारी का दुश्मन ब्रजेश सिंह गाजीपुर-मऊ क्षेत्र से भाग निकला था।

– 2008 में उसे उड़ीसा से गिरफ्तार किया गया था।

– 2008 में अंसारी को हत्या के एक मामले में एक गवाह धर्मेंद्र सिंह पर हमले का आरोपी बनाया गया था।

– 2012 में महाराष्ट्र सरकार ने मुख्तार पर मकोका लगा दिया था। उनके खि‍लाफ हत्या, अपहरण, फिरौती जैसे कई आपराधिक मामले दर्ज हैं।

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