नई दिल्ली,एजेंसी। केंद्र की भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार की नीतियो के खिलाफ राजद प्रमुख लालू प्रसाद ने 27 अगस्त को पटना के गांधी मैदान में विपक्षी दलों की रैली बुलाई है। इसमें शामिल होने के लिए तकरीबन सभी विपक्षी दलों ने सहमति जता दी है। आज उत्तर प्रदेश की सबसे बड़ी पार्टी बसपा और सपा ने भी अपनी सहमति दे दी है।
यानी लालू उत्तर प्रदेश की राजनीति के दो ध्रुव को अपने मंच पर एक करने वाले हैं। ऐसा नहीं है कि बसपा-सपा में कभी एका नहीं रहा है। लेकिन कुछ परिस्थितियां ऐसी हो गई जिसके कारण दोनों एक-दूसरे के धुर विरोधी हो गए।
केंद्र में मोदी सरकार आने के साथ ही लालू ने कहना शुरू कर दिया था कि मोदी का सामना करने के लिए विपक्ष को एक होना होगा। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद उन्होंने अपनी मुहिम और तेज कर दी।
वैसे भी महागठबंधन बना पीएम मोदी को परास्त करने का लालू का पुराना अनुभव है। याद करिए बिहार विधानसभा का चुनाव जब लालू ने भाजपा के सबसे पुराने सहयोगी रहे नीतीश को अपने पाले में लाकर कांग्रेस के साथ गठबंधन किया और भाजपा को उसके सहयोगियों के साथ चित कर दिया।
अब बिहार वाला प्रयोग लालू राष्ट्रीय स्तर पर करने को बेताब हैं। बस इसमें बाधा थी उत्तर प्रदेश की दोनों पार्टियां जो एक-दूसरे को फूटे आंखों देखना पसंद नहीं करती थीं। ऐसा नहीं कि इस तथ्य को सिर्फ लालू ही समझ रहे हैं। यूपी विधानसभा चुनाव में बुरी तरह मात खाने के बाद आयोजित प्रेस कान्फ्रेंस में मायावती ने भी कहा था कि वह मोदी के खिलाफ किसी से हाथ मिलाने को तैयार है। आज अखिलेश ने ट्वीट कर इस बात की सहमति दे कर कि वह मायावती के साथ पटना रैली में मंच शेयर करेंगे, लालू की समस्या खत्म कर दी है।
ऐसा नहीं है कि मायावती और अखिलेश के सिर्फ पटना के गांधीमैदान का मंच साझा करने से ही लालू पीएम मोदी को पराजित कर देंगे। लेकिन इतना तय है कि यह रैली राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा नीत एनडीए की केंद्र सरकार के खिलाफ बनने वाले महा गठबंधन की रूपरेखा जरूर तय कर देगा।