दीपक ठाकुर:NOI।
खुद को दलितों का मसीहा मान चुकी बहन मायावती ने भारत बंद का समर्थन किया है।यही नही उन्होंने तो निजी क्षेत्र में भी आरक्षण को मजबूती से अमल में लाये जाने की बात कही है।
आज के भारत बंद को लेकर मायावती ने इसका पूरा ठीकरा केंद्र सरकार पर फोड़ा है उनका कहना था कि केंद्र सरकार की दलित विरोधी नीति के चलते ये नौबत आई है उनका तो ये भी कहना था कि जो सरकार की तरफ से पुनर्विचार को याचिका डाली गई है वो महज़ एक दिखावा है उनका आरोप है कि ये सरकार दलितविरोधी है इसी लिए उनके हितों को अनदेखा कर रही है।
वही दूसरी तरफ उन्होंने खुद की पार्टी को क्लीनचिट देते हुए ये कहा कि बन्द में उनकी पार्टी का कोई योगदान है और बन्द के दौरान हुई हिंसा से भी उनका और उनकी पार्टी का कोई नाता नही।मायावती ने महाराष्ट्र सरकार को भी आड़े हाथों लेते हुए कहा कि वहां की सरकार भी दलितों के हितों की अनदेखी कर रही है।
ज़ाहिर तौर पर बन्द अगर सफल होता है तो इसे मायावती अपनी जीत से कमतर नही आंकेगी।उनका इस बन्द से भले सीधे तौर पर कोई लेना देना ना हो मगर राजनैतिक द्रष्टिकोण से देखा जाए तो ये आंदोलन बसपा के लिए काफी महत्वपूर्ण साबित हो सकता है बशर्ते ये सफल हो।लेकिन आरक्षण की बात करने वाले समान अधिकार वाली बात को तवज्जो क्यों नही देते ये हमारी समझ नही आता।
आज का दलित पिछड़ा कहाँ से है ये कोई बताए सरकारी नोकरी अच्छा रहन सहन के बाद भी आरक्षण की बात करना कहां तक उचित है ये कोई बताए किसी मामले की गहन जांच के बिना किसी को दोषी ठहरा देना ये कहाँ तक उचित है ये कोई बताए,कोई नही बोलेगा क्योंकि जवाब ही नही है किसी के पास सभी जानते है कि जाति के नाम पर आरक्षण ठीक नही पर राजनैतिक लोग इस पर राजनीती कर अपनी रोटी सेकते हैं जनता कुछ नही चाहती ना बंद ना आरक्षण लेकिन उनके मसीहा बनने वाले ऐसी स्थिति पैदा कर देते हैं जहां संसद से सड़क तक ऐसे मुद्दों पर चर्चा होने लगती है जो बेबुनियाद हैं।