दीपक ठाकुर:NOI।
जैसे कि कयास लगाए जा रहे थे कि उत्तरप्रदेश का महागठबंधन चुनाव परिणाम आने के बाद बिखर जाएगा हुआ भी कुछ ऐसा ही कल की अटकलों को विराम देते हुए बसपा सुप्रीमो मायावती ने ये एलान कर दिया कि उनकी पार्टी उपचुनाव में अकेले ही सभी सीटों पर चुनाव लड़ेगी।इसी के मद्देनजर की गई आज की पत्रकारवार्ता में उन्होंने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि उन्होंने सपा से जो गठबंधन किया था उसके लिए वो पुराने गिले शिकवे सिर्फ इसलिए भूल गई थी क्योंकि उन्हें लगता था कि महागठबंधन देश की सियासत के लिए ज़रूरी है उनका कहना था कि अखिलेश से उनको किसी बात की शिकायत नहीं है बस वो अपनी पार्टी को और मज़बूत करें क्योंकि यादव बाहुल्य क्षेत्र में भी उनकी पार्टी हारी है जो दर्शाता है कि सपा में कार्यकर्ता ठीक से काम नही कर रहे और ना ही वो अपने आलाकमान की सुनते हैं।हालांकि मायावती ने कहा कि अगर अखिलेश ने इस हार से सबक लेकर कुछ अच्छी सीख ली तो आगे उनका गठबंधन हो भी सकता है लेकिन फिलहाल के लिए कोई गुंजाइश नही है।
वही दूसरी तरफ अखिलेश यादव ने भी अपनी बुआ बहन मायावती का सम्मान करते हुए कहा कि उनकी पार्टी भी अकेले उपचुनाव में जाने के लिए तैयार है जिस पर पार्टी पूरी तन्मयता के साथ काम करेगी।अखिलेश यादव भले मायावती को कुछ भी बोलने से बचते दिखाई दिए लेकिन उनके कार्यकर्ताओ ने बहन जी को ज़रूर भला बुरा कहा लेकिन अखिलेश से जब पूछा गया तो उनका कहना था कि उनका कार्यकर्ता ऐसा नही करता खैर मीडिया ने जो देखा वो पूछा अब हक़ीक़त अखिलेश ही बेहतर जानते होंगे।
अब फिलहाल ये तस्वीर साफ होती नजर आ रही है कि लोक सभा चुनाव में जिस महागठबंधन की चर्चा सबसे ज़्यादा रही अब वो गठबंधन समाप्त हो गया है पर अच्छी बात ये है कि बुआ और बबुआ के बीच आपसी खटास नही दिखाई दे रही जो इस बात का संकेत है कि 2022 में फिर एक साथ आया जा सकता है भैया ये राजनीती है इसमें किसी बात से इनकार भी तो नही किया जा सकता है।