स्वामी नवेदानंद:NOI।
आप लोग राष्ट्रवाद का परचम लहराने का दावा करते हो। देशभक्ति, देशप्रेम और राष्ट्रवाद की दुहाई देते हो। भारत मां का वंदन करते हो। लेकिन ये क्या! कल तुमने मां की इज्जत को भरे बाजार नीलाम कर दिया। ज़ी हिन्दुस्तान के लाइव शो में हिन्दुस्तान कितना बदनाम हुआ, अंदाजा है तुम्हें! तुमने दुनिया के सामने भारत मां कि इज्जत तार-तार कर दी।
किसी सम्मानित न्यूज चैनल के डिबेट शो में मारपीट नहीं हो सकती। जिस न्यूज चैनल के लाइव शो में मारपीट हो या मारपीट करायी जाये, पता है उसे क्या कहा जायेगा ! सड़क छाप न्यूज चैनल।
मीडिया की थोड़ी बहुत समझ रखने वाला ये जानता है कि लाइव शो कैसे होते हैं। देश समाज और दर्शकों की सबसे अहम जरुरतों से जुड़े विषय चुने जाते है। जिसपर चर्चा के लिए सोच समझकर, परखकर पैनलिस्ट का चयन होता है। गैस्ट काॅरडीनेटर संभावित पैनलिस्ट की रिपोर्ट पेश करता है। उनका रिकार्ड, कार्यक्षेत्र, स्वभाव, भाषा शैली, लैंग्वेज, एजूकेशन, बैकग्राउंड, विचारधारा… इत्यादि की रिपोर्ट के बाद पैनलिस्ट चुने जाते हैं। शो से पहले सारे पैनलिस्ट के साथ न्यूज प्रोड्यूसर और एंकर शो के विषय के बारे में समझाते हैं। शो के कायदे-कानून की जानकारी दी जाती है।
अंधेरे में कुछ नहीं होता। सबकुछ योजनाबद्ध तरीके से होता है। और यदि किसी पॉलिटिकल एजेंडे पर लाइव शो में मारपीट करवानी है तो वो मारपीट वाला शो भी योजनाबद्ध तरीके से ही होता है।
जी न्यूज जी इस पत्र में सबसे अहम सवाल ये कि आप के डिबेट शो के विषय कौन तय करता है!
तीन तलाक, पाकिस्तान, गाय, मंदिर-मस्जिद, मदरसा, हिन्दू-मुसलमान और धार्मिक विषयों के अलावा जिन्दगी की सबसे अहम आम आवश्यकता पर आपके चैनल पर कभी कोई डिबेट हुई है क्या ! आज देश के करोड़ों युवाओं को रोजगार की जरुरत है। शिक्षा की जरूरत है। मजदूर के पास मजदूरी नही है। पढ़े-लिखे प्रतिभाशाली बेरोजगारी की सजा भुगत है। सरकारी अस्पतालों की चौखट पर इलाज के अभाव में लाखों मरीज सिसक-सिसक कर दम तोड़ रहे हैं। किसान फांसी पर लटक रहे हैं। हर रोज बहन बेटियां बलात्कार का शिकार हो रही हैं। कहीं बाढ़ का कहर है तो कहीं सूखे का। पुल गिर रहे हैं। जेलों में कत्ल हो रहे हैं। बिजली की समस्या है। सड़क पर गड्ढे नहीं गड्ढों में सड़के हैं। व्यापारी परेशान हैं…. बहुत कुछ विषय हैं।
बताइये जरा! आम देशवासियों की जरूरतों से जुड़े उक्त विषयों में से किस विषय पर जी न्यूज ने डिबेट की!
भारत में मुस्लिम महिलाओं की संख्या पांच करोड़ के आसपास पास होगी। इसमें से तीन करोड़ विवाहित होंगी। तीन करोड़ में केवल एक करोड़ विवाहित मुस्लिम महिलायें इस्लाम के उस मसलक के अंतर्गत आती हैं जिसमें तीन तलाक का रिवाज है। इन एक करोड़ में ज्यादा से ज्यादा एक लाख महिलायें तीन तलाक से पीड़ित होंगी। अच्छी बात है इस कुप्रथा पर चिंता की जाये। इसे खत्म किया जाये। इसपर टीवी डिबेट हो।
लेकिन जी न्यूज जी, आपने देश की एक लाख मुस्लिम महिलाओं की तीन तलाक की समस्या के लिए साल में पचासों डिबेट करा दिये, लेकिन देश के लगभग तीस करोड़ से ज्यादा युवाओं की बेरोजगारी की समस्या के लिए एक भी डिबेट शो नहीं किया।
आखिर क्यों !