नई दिल्ली। हजारों किलोमीटर दूर ब्रिटेन के अपने आलीशान घर में शराब कारोबारी विजय माल्या आराम से जीवन यापन कर रहे हैं लेकिन इस बात का कोई संकेत नहीं है कि भारतीय राजनीतिक परिचर्चा से हाल-फिलहाल वह हटेंगे। एक तरफ जहां संसद में आम बजट 2017-18 पर चर्चा के दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष ने उनके नाम का अपने-अपने हिसाब से इस्तेमाल किया तो विदेश मंत्रालय ने उनके प्रत्यर्पण का प्रस्ताव विधिवत तरीके से ब्रिटिश सरकार के समक्ष पेश कर दिया। ब्रिटिश सरकार के पुराने रिकार्ड को देखते हुए हालांकि इस बात की उम्मीद कम ही है कि भारत को इसमें सफलता मिलेगी।
आम बजट पर जारी चर्चा का लोकसभा में जवाब देते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि राजग सरकार ने अपने कार्यकाल के दौरान माल्या को एक पैसे का भी फायदा नहीं पहुंचाया। उन्हें पूर्व संप्रग सरकार के कार्यकाल में ही कर्ज दिया गया और फिर कर्ज चुकाने के लिए ज्यादा अवधि भी दी गई। जेटली ने कहा, ‘आपके किए कर्मो की सजा हम भुगत रहे हैं।’ मौजूदा बजट सत्र में माल्या का नाम कई बार आया है।
पीएम नरेंद्र मोदी जब राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर बोल रहे थे तब विपक्षी दलों के कई सांसद बार-बार माल्या का नाम ले रहे थे। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने भी सरकार पर माल्या को 1200 करोड़ रुपये का फायदा पहुंचाने और विदेश जाने का मौका देने का आरोप लगाया। अपने चुनावी भाषणों में भी राहुल लगातार माल्या के नाम का जिक्र कर रहे हैं। बहरहाल, गुरुवार को वित्त मंत्री ने उनके आरोपों का करारा जवाब दे दिया।
भारत में मुकदमा चलाने के लिए मांगा प्रत्यर्पण
विदेश मंत्रालय भी माल्या को लेकर हरकत में आया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने गुरुवार को कहा, ‘माल्या के प्रत्यर्पण को लेकर जो प्रस्ताव सीबीआइ से प्राप्त हुआ था उसे ब्रिटिश सरकार को सौंप दिया गया है। हमने यह आग्रह किया है कि भारत में मुकदमा चलाने के लिए माल्या को प्रत्यर्पित किया जाए। भारत के पास उन्हें स्वदेश लाने का पक्का मामला है और उम्मीद है कि ब्रिटिश सरकार इस पर उचित कार्रवाई करेगी।’ सनद रहे कि सीबीआइ की एक अदालत ने पिछले महीने ही आइडीबीआइ बैंक से कर्ज लेने के मामले में माल्या के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया है। इससे पहले भी माल्या के खिलाफ कई बार वारंट जारी हो चुके हैं।