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Wednesday, September 18, 2024

मीडिया के आइटम सांग की तरह इस्तेमाल होता ” फतवा “

लखनऊ, न्यूज़ वन इंडिया- नवेद शिकोह। इस्लाम और शरियत का आज फिर हुआ बलात्कार #खामोश रहे मुस्लिम धार्मिक विद्वान घटिया और कमजोर फिल्मों के आइटम डांस की तरह बन गया है फतवा। घटिया ऑडियंस भी खुश.. घटिया निर्माता/आर्गनाइजर भी खुश और घटिया परफारमर भी खुश। जय श्रीराम कहने पर इस्लाम से खारिज करने का फतवा दिया गया। इस बात को खबर बनाकर उस पर चर्चा करना वैसे ही बेतुका है जैसे कोई जाहिल लल्लू प्रसाद (सनातन धर्म का अज्ञानी) कह दे कि- गीता के उद्देश्य के अनुसार काले लोगो की हत्या कर दी जाये। क्या ये खबर चलाना या इस पर चर्चा करना पागलपन नही होगा !

फतवा कभी नही दिया जाता। फतवे के नाम पर मीडिया मे जो दिखाया जाता है वो गलत और झूठ है। मुल्ला-मौलवी या दाढी-टोपी वाला कोई मुसलमान शख्स यदि बेतुका/गैर इस्लामी/गैर शरयी/गैर सामाजिक बयान दे दे और उसे इस्लामी फतवा कहकर दिनभर मीडिया मे चलाना एक बड़ी साजिश है। एक विशिष्ट डिग्री वाले धार्मिक विद्वान से अपनी जिन्दगी से जुड़ी व्यक्तिगत राय मांगने पर शरियत के नजरिये से जो राय दी जाती है उसे फतवा कहते है। फतवा जबरन किसी पर कतई नहीं थोपा जाता। मैं बार-बार लिखता और कहता रहा हूँ -फतवा दिया नही जाता। फतवा मांगा जाता है। लेकिन आपने ये सच कभी किसी मुस्लिम धर्म गुरु से नही सुना होगा। एक जाहिल व्यक्ति मीडिया मे प्रेस नोट जारी करे। बयान दे या प्रेस विज्ञप्ति में लिखे कि यीशु ने आदेश दिया है कि जो चर्च नही जायेगा उसका सिर कलम कर देना चाहिए है। क्या इस जाहिल और गलत इन्सान की ये बेतुकी और गलत खबर दिन भर मीडिया में चलेगी। नही चलेगी। क्योंकि हिन्दू.. ईसाई या सिख भाईयों के धर्म या पंथ को गलत तरीके से प्रचारित किया जायेगा तो वो विरोध जतायेंगे.. सड़को पर उतर आयेंगे। मीडिया में खंडन भेजेंगे। लेकिन मुसलमान कौम बहुत ही कमजोर कौम है। इसके ज्यादातर धार्मिक विद्वान सियासत की रोटियों पर पलते रहे हैं। जय श्री राम कहने पर इस्लाम से खारिज करने का जो तथाकथित फतवा दिन भर मीडिया मे उछला उसका एक भी मुस्लिम धार्मिक गुरु ने खंडन नही किया। किसी ने ये नही बताया कि ये फतवा हो ही नही सकता। फतवा का तो अर्थ ही दूसरा है। हाँ इस ड्रामे मे चार लोगो का फायदा हुआ और इस्लाम और शरियत का बलात्कार होता रहा। फायदा उस जाहिल और आम मौलवी का हुआ जिसका टीवी पर दिन भर नाम चला। फायदा उस सियासतदा का हुआ जिसे इतनी प्रसिद्धि कभी नही मिलती। फायदा उन टीवी चैनल्स का हुआ जिसे झूठी पर चटपटी खबर परोसने से खूब टीआरपी मिलती रही। फायदा उनका भी हुआ जो इस बात की गलत दलील देते रहते है कि मुसलमान दूसरे धर्म का सम्मान नही करते।

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