मुंबई,एजेंसी-16 सितम्बर । एक विवादास्पद फैसले के तहत, महाराष्ट्र में भाजपा-शिवसेना सरकार ने फ़ैसला किया है कि भविष्य में ऑटोरिक्शा परमिट केवल मराठी भाषा बोलने वालों को ही जारी किया जाएगा। महाराष्ट्र सरकार के इस फ़ैसले पर रिक्शा चालको की कड़ी प्रतिक्रिया सामने आ रही है। उत्तर प्रदेश के रहने वाले किशोर दास कहते हैं, “मैं पिछले 5 वर्षो से मुंबई में ऑटोरिक्शा चला रहा हूं लेकिन आज तक ऐसी परेशानी नहीं आई सरकार ने अचानक यह फ़ैसला लेकर हमारी तकलीफ़े बढ़ा दी हैं। ” वो आगे कहते हैं, “सरकार को जाती और धर्म को बीच में नहीं लाना चाहिए। ” वहीं राजस्थान के रहने वाले सुयष चौबे कहते हैं, “हमने क़र्ज़ लेकर ऑटोरिक्शा ख़रीदा है, इस फ़ैसले के बाद हमें अगर परमिट नहीं मिला तो हम क़र्ज़ कैसे चुकाऐंगे ” कुछ रिक्शा चालक अब ऑटो से प्री-पेड कैब जैसे ओला या मेरु चलाने की ओर बढ़ रहें है।
मुंबई में रिक्शा चला रहे अशोक चिकने कहते हैं, “हम सरकार के इस फ़ैसले का समर्थन करते हैं इससे महाराष्ट्र के युवाओं को रोज़गार मिलेगा और बाहर से आकर बिना परमिट के रिक्शा चला रहे लोगों का दबदबा कम होगा। ” वही अभिराम जादव कहते हैं, “यूपी-बिहार से आए लोगों ने यहां जनता को भी परेशान कर रखा है, अपनी मर्ज़ी से कहीं भी आते जाते हैं। हम स्थानीय लोग, जनता की तकलीफ़ समझते हैं, इसलिए कभी सवारी को मना नहीं करते। “महाराष्ट्र का परिवहन विभाग नवम्बर में मुंबई उपनगर, ठाणे और रायगढ़ इलाक़े में पुराने और नए मिलाकर कुल 1 लाख 40 हज़ार 65 परमिट जारी करेगा।