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Friday, February 14, 2025

मुफ्त सामान देने के चुनावी वादे पर HC ने चुनाव आयोग से मांगा जवाब


दिल्ली हाईकोर्ट ने राजनीतिक दलों को मुफ्त में सामान बांटने के चुनावी वादे करने से रोकने को लेकर दायर एक याचिका पर आज केंद्र सरकार और चुनाव आयोग से जवाब मांगा है।

मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी और न्यायमूर्ति संगीता ढींगरा सहगल की पीठ ने चुनाव आयोग से यह स्पष्ट करने को कहा कि चुनावी घोषणा-पत्र को लेकर उसके दिशा—निर्देश सुप्रीम कोर्ट के इस संबंध में दिए गए निर्देश के अनुरूप हैं या नहीं।

पीठ ने कहा, आप (चुनाव आयोग) अपना जवाब दाखिल करें और कोर्ट को सूचित करें कि आपके दिशा—निर्देश सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुरूप हैं या नहीं। कोर्ट ने केंद्र को भी नोटिस जारी किया और सरकार एवं चुनाव आयोग दोनों को आठ सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा है।

पीठ ने सुनवाई की अगली तारीख 24 मई तय की है। हाईकोर्ट ने दिल्ली के रहने वाले अशोक शर्मा की याचिका पर सुनवाई कर रहा था। शर्मा ने अपनी याचिका में मांग की है कि चुनाव से पहले राजनीतिक दलों को मतदाताओं को मुफ्त सामान बांटने से रोकने के लिए चुनाव आयोग को निर्देश दिया जाए क्योंकि फरवरी और मार्च में पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव के प्रचार अभियान में सत्ता में आने पर मुफ्त में सामान देने की कथित तौर पर पेशकश की जा रही है।

अधिवक्ता ए मैत्री के जरिये दाखिल की गई इस याचिका में दावा किया गया है कि चुनाव आयोग ने अपने हालिया दिशा—निर्देश में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश की उपेक्षा की है।

सुप्रीम कोर्ट ने जुलाई 2013 के अपने फैसले में कहा था, यद्यपि कानून में यह स्पष्ट है कि जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 123 के अनुसार चुनावी घोषणापत्र में वादा करना भ्रष्ट व्यवहार नहीं है लेकिन वास्तविकता यह है कि किसी भी तरह के सामान को मुफ्त बांटने से निश्चित तौर पर लोग प्रभावित होते हैं। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से उपस्थित वकील ने पीठ से कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश स्पष्ट हैं कि इस तरह के वादे से लोग प्रभावित होते हैं और इससे निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया प्रभावित होती है।

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