कानपूर NOI । समाजवादी पार्टी (सपा) में जारी उथल-पुथल थमने का नाम नहीं ले रही है। रविवार के घटनाक्रम से यह साफ हो गया कि अब अागे काफी कुछ एेसा हाेने वाला है जाे न पार्टी के लिए सही हाेगा अाैर न ही पार्टी के नेताअाें के लिए। प्राे. रामगाेपाल के अधिवेशन में पार्टी सुप्रीमाे काे राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटाया ताे गया ही साथ ही शिवपाल कि भी कुर्सी छिन ली गई। राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव काे बनाया गया ताे प्रदेश में उन्हाेंने अपने चाचा काे ठेंगा दिखाते हुए नरेश उत्तम काे अध्यक्ष बना दिया। ये वही शिवपाल हैं जिन्हें मुलायम ने कभी ऊंगली पकड़ राजनीति में उतारा था। शिवपाल ने भी अपने बड़े भाई के लिए काफी कुछ किया। पढ़िए अाखिर शिवपाल कैसे बन गए भईया के सबसे लाडले…
मुलायम सिंह ढाल के रूप में राजनीति में प्रवेश किया था
बताते हैं कि 70 के दशक में जब चंबल के बीहड़ जिले इटावा में राजनीति की राह आसान नहीं थी तो शिवपाल ने ही भाई मुलायम के लिए रास्ता तैयार किया था। 1967 में जसवंतनगर से विधानसभा चुनाव जीतने के बाद मुलायम सिंह के राजनैतिक विरोधियों की संख्या काफी बढ़ चुकी थी। राजनैतिक द्वेष के चलते कई बार विरोधियों ने मुलायम सिंह पर जानलेवा हमला भी कराया।
ऐसे खुला शिवपाल के लिए राजनीति में प्रवेश का मार्ग
शिवपाल सिंह यादव ने मुलायम सिंह यादव के सहकारिता मंत्री रहते हुए पहली बार 77-78 में किसानों को एक लाख क्विंटल और अगले वर्ष 2.60 लाख क्विंटल बीज बांटे थे। उनके कार्यकाल में प्रदेश में दूध का उत्पादन तो बढ़ा ही, साथ ही पहली बार सहकारिता में दलितों और पिछड़ों के लिए आरक्षण की भी व्यवस्था की गई।
सहकारिता आंदोलन में मुलायम के बढ़े प्रभाव ने ही शिवपाल के लिए राजनीति में प्रवेश का मार्ग खोला। 1988 में शिवपाल पहली बार जिला सहकारी बैंक, इटावा के अध्यक्ष बने। 1991 तक सहकारी बैंक का अध्यक्ष रहने के बाद दोबारा 1993 में शिवपाल ने यह कुर्सी संभाली और अभी तक इस पर बने हुए थे। 1996 से विधानसभा सदस्य के साथ-साथ आज कई शिक्षण संस्थाओं के प्रबंधन भी करते हैं। वे एस एस मेमोरियल पब्लिक स्कूल, सैफई, इटावा के अध्यक्ष चुने गए।
यही वह समय था, जब हम शिवपाल सिंह और चचेरे भाई रामगोपाल यादव मुलायम सिंह के साथ आए। शिवपाल ने मुलायम सिंह की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी संभाली। शिवपाल ने 1988 में राजनीति में कदम रखा। शिवपाल इटावा के जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष चुने गए। पहली बार 1996 में जसवंतनगर से जीतकर विधानसभा पंहुचे। इसके बाद इन्होंने अपनी विधायकी सफलतापूर्वक बरकरार रखी।
भाई मुलायम से सीखा राजनीति में चलना
कभी नेताजी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाले शिवपाल यादव पार्टी की सारी जिम्मेदारी अपने कंधों पर संभालते थे। वे बड़े भाई मुलायम के साथ अपने बाल्यकाल से ही सामाजिक व राजनीतिक गतिविधियों में सक्रिय रहे।
उन्होंने क्षेत्र में घूम-घूमकर गरीबों की मदद करना और उन्हें सुविधाएं मुहैया कराने का बीड़ा उठाया। मरीजों को अस्पताल पहुंचाना, थाना-कचहरी में गरीबों को न्याय दिलाने के लिए प्रयास करना व पार्टी विचारधारा से लोगों को जोड़ने का काम ग्राउंड पर शिवपाल ने ही संभाला।
अपनी जवानी के दिनों में शिवपाल ने सोशलिस्ट पार्टी का शायद ही कोई कार्यक्रम छोड़ा हो। इसकी बड़ी वजह थी पार्टी में शिवपाल की तेजी से बढ़ी सक्रीयता। कभी नेताजी के चुनावों के पर्चें बांटने से शुरूआत करते हुए कैसे शिवपाल एक सक्रिय नेता की भूमिका में सामने आए यह समाजवादी पार्टी का इतिहास बयां करता है।
शिवपाल यादव का जन्म
सन् 1955 को बसंत पंचमी के पावन दिन में पिता सुघर सिंह तथा माता मूर्ति देवी के कनिष्ठ पुत्र के रूप में जन्मे शिवपाल सिंह यादव को मानवता के प्रति उदात्त भाव विरासत में मिला। उन्होंने जनसंघर्षों में भाग लेना और नेतृत्व करना अपने नेता व अग्रज मुलायम सिंह यादव से सीखा।
कानपुर यूनिवर्सिटी से शिवपाल का रहा गहरा नाता
शैक्षिक योग्यता
शिवपाल सिंह यादव ने गांव की प्राथमिक पाठशाला से पूर्व माध्यमिक शिक्षा उत्तम श्रेणी में उत्तीर्ण की। इसके बाद हाईस्कूल व इण्टरमीडिएट की शिक्षा के लिए जैन इण्टर काॅलेज, करहल, मैनपुरी में प्रवेश लिया। जहां से उन्होंने सन् 1972 में हाईस्कूल तथा सन् 1974 में इण्टरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण की।
तत्पश्चात् शिवपाल सिंह यादव ने स्नातक की पढ़ाई सन् 1976 में के०के०डिग्री कालेज इटावा (कानपुर विश्वविद्यालय) तथा सन् 1977 में लखनऊ विश्वविद्यालय से बी०पी०एड० शिक्षा प्राप्त की। यहां उनके बहुते से दोस्त बने। आज यूपी के अलग-अलग जिलों में बसे उनके कई दोस्त इसी विश्वविद्यालय की छत तले मिले।