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Saturday, December 7, 2024

मुस्लिम देशों पर बैन से भारत के आईटी उद्योग में खौफ का माहौल |


बेंगलुरु, एजेंसी | सात मुस्लिम देश के लोगों के अमेरिका में प्रवेश पर पाबंदी लगने का तकनीक के क्षेत्र कौशल अर्जित करने वाले भारतीयों को बहुत कम फायदा मिलने वाला है। वैश्विक तकनीकी कंपनियां शायद प्रतिबंधित देशों के कर्मचारियों की जगह अमेरिका के मित्र देशों के लोगों को रखने में होशियारी समझ सकती हैं। लेकिन, इमिग्रेशन सर्विसेज फ्रैगोमेन इंडिया के पार्टनर और एमडी साजू जेम्स को नहीं लगता कि कुछ महत्वपूर्ण बदलाव होने जा रहा है। उनका कहना है कि ग्लोबल टेक कंपनियां उन देशों से बडे़ पैमाने पर भर्तियां नहीं करतीं जिनपर अभी पाबंदी लगाई गई है।
लॉ फर्म निशीथ देसाई असोसिएट्स में एचआर लॉ प्रैक्टिस के लीडर विक्रम श्रॉफ ने कहा कि अमेरिका दुनिया का सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। इस नाते पाबंदी लगने से टैलंट की आवाजाही प्रभावित होगी जिसे वैश्वीकरण के विरुद्ध माना जाएगा। कुछ लोगों को लगता है कि ट्रंप कुछ ऐसे कदम उठा सकते हैं जिसका सीधा असर इंडियन आईटी इंडस्ट्री पर पड़ सकता है। एक बड़ा कदम H-1B और L-1 वीजा प्रोग्राम्स को निशाने पर लेना हो सकता है जिसका उपयोग भारतीय कंपनियां बड़े पैमाने पर करती हैं। अमेरिकी इमिग्रेशन लॉ फर्म डैविज ऐंड असोसिएट्स के चेयरमैन मार्क डेविज ने कहा कि ट्रंप को H-1B वीजा प्रोग्राम बहुत पंसद नहीं है।

उन्होंने कहा, ‘वह यह सुनिश्चित करने में जुटे हैं कि बिल्कुल टैलंटेड वर्कर ही अमेरिका आएं। वह बेमिसाल प्रतिभा के धनी लोगों को अमेरिका आने से रोकना नहीं चाहते हैं। दिक्कत बड़ी तादाद में कम कौशल वाले लोगों को H-1B वीजा प्रोग्राम के तहत कॉन्ट्रैक्ट पर रखने से है।’

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