नई दिल्ली,एजेंसी। उत्तर प्रदेश में भारी बहुमत से जीतकर भाजपा सभी विरोधियों की बोलती बंद कर चुकी है। जनता ने भाजपा को मतदान कर प्रदेश में 15 साल तक काबिज रही सपा और बसपा को आईना दिखा दिया कि अब मतदाता किसी भी बहकावे में नहीं आने वाले हैं। पूरे चुनावी अभियान में सभी पार्टियों ने किसी न किसी तरीके से राजनीतिक ध्रुवीकरण करने की कोशिश की। इसमें सबसे ज्यादा मुस्लिम वोट बैंक की खींचतान दिखी। मायावती से चुनावी रैलियों में कई बार कहा कि उन्होंने इन चुनावों में सबसे ज्यादा मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिए।
बहुजन समाज पार्टी ने भी इस चुनाव में इन मुस्लिम वोटरों को लुभाने की जमकर कोशिश की। उसने अबतक के अपने विधानसभा चुनावों के इतिहास में सबसे ज्यादा 97 मुसलमान उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है।
इसके लिए मायावती ने कौमी एकता दल का अपनी पार्टी में विलय कराने के साथ-साथ मुख्तार अंसारी को मैदान में भी उतारा, हालांकि मुख्तार अंसारी तो बसपा को एक सीट दिलाने में सफल हो गए लेकिन मायावती का सपना चकनाचूर हो गया। इन चुनावों में मायावती सीटों के मुताबिक इतनी नीचे पहुंच चुकी हैं कि सवाल उनके वोट बैंक पर उठना तय है।
उत्तर प्रदेश में मुसलमान वोटर की संख्या काफी ज्यादा है। जहां शहरी इलाकों के विधानसभा क्षेत्रों में 32 फीसदी मुस्लिम वोटर हैं तो वहीं ग्रामीण इलाकों में 16 फीसदी मुसलमान वोटर हैं। एक समय ऐसा भी था जब प्रदेश में मुस्लिम वोट पहले कांग्रेस के हिस्से में जाते थे। वहीं समाजवादी पार्टी के आने के बाद से ये समीकरण पूरी तरह से बदल गया। फिलहाल इन चुनावों में मुस्लिम वोटरों ने भारतीय जनता पार्टी में किस कदर विश्वास जताया है ये सिर्फ इसी बात से मालूम पड़ जाता है कि देवबंद जैसे मुस्लिम बहुल इलाके से भी भाजपा उम्मीदवार की जीत हुई। जानते हैं और कौन-कौन से मुस्लिम बहुल इलाके हैं जहां 2012 के मुकाबले इस बार भाजपा को कई गुना ज्यादा सीटें मिलीं हैं।
उत्तर प्रदेश में 20 से 51 फीसदी वाले मुस्लिम बहुल इलाके की कुल 139 सीटों में से भाजपा ने 116 सीटों पर जीत दर्ज की है, जबकि 2012 में यहां 139 सीटों में से सिर्फ 17 सीटों पर ही भाजपा जीत पाई थी। 41 से 51 फीसदी से ज़्यादा मुस्लिम बहुल आबादी वाले जिले मुरादाबाद, सहारनपुर, बिजनौर, रामपुर, अमरोहा और मुजफ्फरनगर की 36 सीटों में से भाजपा ने 23 सीटों पर जीत दर्ज की है, 2012 में भाजपा इन जिलों में से सिर्फ मुरादाबाद से 1, सहारनपुर से 1, बिजनौर की 2 सीटों पर ही जीत दर्ज की थी।
25 से 35 फीसदी मुस्लिम आबादी वाले बलरामपुर, बरेली, मेरठ, बहराइच, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर, बागपत, गाज़ियाबाद की कुल 42 सीटों में से भाजपा ने 38 सीटों पर जीत दर्ज की है। इससे पहले 2012 के चुनावों में भाजपा बरेली की 3, मेरठ की 4, बहराइच की 2 और सिद्धार्थ नगर की एक सीट के साथ कुल 10 सीटें ही जीत पायी थी। 20 से 25 फीसदी मुस्लिम बहुल ज़िले वाले संतकबीर नगर, बाराबंकी, बुलंदशहर, बदायूं, लखनऊ, अलीगढ़, गोंडा, खीरी और सीतापुर की कुल 61 सीटों में से भाजपा ने 55 सीटों पर जीत दर्ज की है। इससे पहले 2012 में भाजपा लखनऊ, गोंडा और खीरी से एक एक सीट ही जीत पायी थी।
भाजपा को मुस्लिम वोट मिलने का एक बड़ा कारण तीन तलाक का मुद्दा भी है। प्रदेश में सिर्फ भारतीय जनता पार्टी ने ही तीन तलाक का मुद्दा अपने घोषणा पत्र में शामिल किया। मुस्लिम महिलाओं के लिए ये एक बेहद ही महत्वपूर्ण बिंदु है। केंद्र की मोदी सरकार ने भी इस मामले में कई जरूरी कदम उठाए हैं। मुस्लिम मतदाताओं का इस विधानसभा चुनाव में मत परिवर्तन साफ दिखाता है कि वह वर्तमान हालातों में परिवर्तन की चाह रखते हैं।