वाराणसी। लखनऊ की सड़कों पर मृत पाए गए कर्नाटक कैडर के आईएएस अनुराग तिवारी के साथ सब कुछ ठीक नहीं चल रहा था। कि कर्नाटक सरकार के कुछ मंत्रियों और नौकरशाहों की आँख में आईएएस अनुराग तिवारी बुरी तरह से खटक रहे थे। जबरदस्त सूखा प्रभावित कर्नाटक के बीदर जिले में बतौर डिप्टी कमिश्नर पोस्टिंग के दौरान उन्होंने जहां तरफ पेयजल के संकट को दूर करने में अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी वही दूसरी तरफ माफियाओं और भ्रष्ट तंत्र के खिलाफ कारवाई को लेकर अनुराग प्रदेश के कई नेताओं और नौकरशाहों की आँख में वो बुरी तरह खटक रहे थे।
उमाश्री के सामने छीन लिया गया अनुराग का सेलफोन
कर्नाटक में अनुराग के साथ कैसा व्यवहार हो रहा था इसके लिए कन्नड़ फिल्मों की अभिनेत्री और अब कर्नाटक में महिला एवं बाल विकास मंत्री उमाश्री के साथ अनुराग तिवारी का एक वीडियो पूरी कहानी कहने को पर्याप्त है। जहाँ साफ़ दिखाई पड़ता है कि बीदर में एक धरनास्थल पर मंत्री की मौजूदगी में किस तरह से एक पुलिसवाले ने आईएएस अनुराग तिवारी से उनका मोबाइल फोन छीन लिया था।हांलाकि अनुराग ने पुलिस वाले से फिर मोबाइल ले लिया। यह वही मंत्री है जिनका कर्नाटक विधानसभा में कावेरी के मुद्दे पर चल रही बहस के दौरान कागज़ पर रंगोली बनाने का वीडियो वायरल हुआ था,उमाश्री बीदर जिले की इंचार्ज भी हैं।
पूर्व डिप्टी कमिश्नर की अनुराग कर रहे थे जांच
पत्रिका को अपने सूत्रों से पता चला है कि बीदर में अपने तैनाती के तौर अनुराग ने कई भू माफियाओं के खिलाफ कारवाई की थी जिनमे एक विधायक भी शामिल था। अनुराग तिवारी द्वारा बीदर पूर्व डॉ पीसी जाफर के खिलाफ भी जांच की जा रही थी। उनके ऊपर आरोप था कि उन्होंने वाफ्फ़ बोर्ड की 6 एकड़ जमीन किसी प्राइवेट व्यक्ति के नाम कर दी थी। जानकारी मिली है कि डॉ पीसी जाफर के खिलाफ जांच के लिए आदेश भी प्रदेश के एक मंत्री के द्वारा मिला था। गौरतलब है कि पीसी जाफर कर्नाटक के लोक आयुक्त कार्यालय में रजिस्ट्रार हैं।अभी हाल में ही अनुराग तिवारी की बीदर के डिप्टी कमिश्नर के पद से नगवार में डायरेक्टर (फूड एंड सप्लाई) के पद पर तैनाती हुई थी।
अनुराग की मौत को स्वाभाविक नहीं मानते आईएएस
अनुराग से पूर्व मार्च 2015 में कर्नाटक केडर के एक अन्य आईएएस अधिकारी डी के रवि की मौत भी बेहद संदिग्ध परिस्थितियों में हुई थी। 35 वर्षीय रवि भी बालू और भू माफियाओं के खिलाफ बेहद सक्रिय थे उनकी मौत की जांच भी सीबीआई कर रही है। अनुराग जब तक बीदर में तैनात रहे उन्होंने भू माफियाओं की नाक में दम कर रखा था। हांलाकि इस बात की अफवाह आम रही कि अगर उन्हें स्थानीय पुलिस का सहयोग ठीक से मिला होता तो वो शायद और बेहतर करके दिखा सकते थे। नाम न छापने की शर्त पर कर्नाटक कैडर के एक आईएएस अधिकारी कहते हैं कि इस मौत को शक के निगाह से देखे जाने की जरुरत है क्योंकि अनुराग जिस मेहनत,ईमानदारी और पारदर्शिता से काम कर रहे थे वैसे में यह बिलकुल स्वाभाविक है कि उन्हें कई लोग नापसंद करते हों।