नई दिल्ली, एजेंसी । मोबाइल फोन में इस्तेमाल किए जाने वाले एक उपकरण पर दो फीसदी विशेष अतिरिक्त शुल्क लगाने से ‘मेड इन इंडिया’ मोबाइल फोन की कीमत बढ़ने की संभावना है। मोबाइल फोन में इस्तेमाल पोपुलेटेड प्रिंटेड सर्किट बोर्ड (पीसीबी) का आयात किया जाता है। इसकी कीमत मोबाइल फोन की कुल लागत का करीब 50 फीसदी के बराबर होती है। ऐसे में अनुमान है कि मोबाइल फोन की कीमत कम से कम एक-दो फीसदी बढ़ जाएगी।
पीसीबी को मोबाइल फोन का हार्ट माना जाता है। इस बारे में पूछे जाने पर पैनासोनिक इंडिया के सीईओ मनीष शर्मा ने कहा कि इससे मोबाइल हैंडसेट की कीमत के एक से दो फीसदी बढ़ने की संभावना है। उन्होंने कहा कि शुरुआत में इस लागत की भरपाई उपभोक्ताओं से ही करनी पड़ेगी क्योंकि कंपनियां इतना बोझ उठाने की स्थिति में नहीं हैं। हालांकि अन्य हैंडसेट निर्माता कंपनियों ने इस पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
काउंटर प्वाइंट रिसर्च के वरिष्ठ विश्लेषक तरुण पाठक ने कहा कि अतिरिक्त शुल्क में दो फीसदी की बढ़ोतरी से निश्चिततौर पर मोबाइल हैंडसेट की कीमत बढ़ेगी लेकिन यह निर्माता कंपनी पर निर्भर करता है कि वह इसकी भरपाई ग्राहकों से करती है या फिर खुद बोझ उठाती है।
उन्होंने कहा कि हो सकता है कि कंपनियां अन्य चीजों से समझौता करें और इस लागत की भरपाई करे। उन्होंने कहा कि भारत में ही पीसीबी का निर्माण अभी आसान नहीं है। मुख्य रूप से अभी इसका आयात ही किया जाता है। वैसे सरकार का कहना है कि उसने यह कदम देश में ही पीसीबी के निर्माण को बढ़ावा देने के लिए उठाया है।
फोकस भारत को इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण का हब बनाने पर
बजट भाषण में वित्त मंत्री ने कहा कि उनका फोकस भारत को इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण का हब बनाने पर है। उन्होंने कहा कि पिछले दो साल में इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण से जुड़ी 1.26 लाख करोड़ को 250 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई। कई मोबाइल फोन निर्माता कंपनियों ने भारत में उत्पादन शुरू किया है।
इसीलिए सरकार 745 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन योजना की घोषणा करती है। पिछले बजट में भी सरकार ने पीसीबी पर दो फीसदी विशेष अतिरिक्त शुल्क लगाने का प्रस्ताव किया था, लेकिन इलेक्ट्रॉनिक उद्योग के विरोध के बाद मई 2016 में इस प्रस्ताव को वापस ले लिया गया था। मोबाइल के साथ लैपटॉप और पर्सनल कंप्यूटर में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है।
देश में मोबाइल इकोसिस्टम के विकास के लिए चरणबद्ध निर्माण बहुत जरूरी है। 2019 तक 50 करोड़ हैंडसेट के निर्माण और 12 हैंडसेट के निर्यात के लक्ष्य को हासिल करने के लिए यह जरूरी है। लेकिन बजट में इसकी बात नहीं की गई है। हमें उम्मीद है कि बजट पर बहस में यह बात उठेगी।
‘मेक इन इंडिया’ एक बड़ा अवसर है। भारत ने मोबाइल निर्माण क्षेत्र में बड़ा निवेश आकर्षित किया है। इससे न केवल अर्थव्यवस्था के विकास को बल मिला है बल्कि रोजगार के अवसर भी पैदा हुए हैं। हम मेक इन इंडिया अभियान को सपोर्ट करने को लेकर प्रतिबद्ध हैं।