नई दिल्ली। आजकल भाजपा में पीएम पद की दावेदारी पर खींचतान मची हुई है। गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी अपने विकास मॉडल के जरिए अपनी दावेदारी पुख्ता कर रहे हैं। तो दूसरी तरफ उनके अपने ही दल के नेता उनकी टांग खींचने में लगे हुए हैं।
गुजरात में हैट्रिक लगाने के बाद नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता बढ़ती गई। इनको दिल्ली में भाजपा ने भी विकास के ब्रांड एम्बेसडर की तरह पेश किया। इनकी बढ़ती लोकप्रियता भाजपा के कई बड़े नेताओं को पच नहीं रही है। भाजपा के संसदीय बोर्ड में वापसी के साथ ही मोदी के कदम सधे अंदाज में पीएम पद की दावेदारी की तरफ बढ़ रहे हैं। इनकी दावेदारी पर ब्रेक लगाने की कोशिशें शुरू हो गईं हैं। अब जरा आप भाजपा नेता विजय गोयल के बयान पर गौर करें। विजय गोयल ने कहा था कि भाजपा 2014 का लोकसभा चुनाव वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में लड़ेगी और विजयी भी होगी। आडवाणी ने उस मंच से इस बयान पर कुछ नहीं कहा। सबसे ज्यादा गौर करने वाली बात यह है कि आरएसएस के कई बार कहने के बावजूद आज तक आडवाणी ने खुद को पीएम की रेस से बाहर नहीं बताया है। आपको बता दें कि मोदी के साथ ही संसदीय बोर्ड में शिवराज को भी आडवाणी चाहते थें। यशवंत सिन्हा और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, नरेंद्र मोदी की जगह लालकृष्ण आडवाणी को सबसे काबिल नेता बता रहे हैं। भाजपा के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा ने एक अंग्रेजी अखबार से बातचीत में कहा कि लालकृष्ण आडवाणी भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं। वह राजग के बेहद सम्मानित नेता भी हैं। अगर वह पार्टी और सरकार की नुमाइंदगी करने के लिए उपलब्ध हैं तो पीएम पद की उम्मीदवारी के मुद्दे पर सारी बहस खत्म हो जानी चाहिए। मोदी की लोकप्रियता को तो ये नेता नकार नहीं रहे हैं लेकिन उन्हें दूसरी पीढ़ी के नेता में शुमार कर रहे हैं।