मंत्रिमंडल का बहुप्रतीक्षित तीसरा विस्तार रविवार सुबह 10.30 बजे होगा। विस्तार में नौ नए चेहरे को टीम मोदी में जगह दी जाएगी। जिन नौ चेहरों को कैबिनेट में शामिल करने का फैसला किया गया है उनमें उत्तर प्रदेश के शिवप्रताप शुक्ल और सत्यपाल सिंह, बिहार के आरके सिंह और अश्विनी कुमार चौबे, कर्नाटक से अनंत कुमार हेगड़े, राजस्थान के गजेंद्र सिंह शेखावत, केरल के अलफोंस कननथामन, मध्य प्रदेश वीरेंद्र कुमार और पंजाब के पूर्व आईएफएस अधिकारी हरदीप सिंह पुरी शामिल हैं।
भाजपा की सहयोगी दलों जदयू, शिवसेना और टीडीपी से बातचीत अंतिम निष्कर्ष पर नहीं पहुंचने के कारण इस विस्तार में भाजपा से जुड़े चेहरों को ही जगह देने का फैसला किया गया है। इसके अलावा अन्नाद्रमुक के दोनों धड़ों में विलय नहीं होने के कारण इसे भी विस्तार में जगह नहीं दी है। सहयोगी दलों को भागीदारी न मिलने के कारण मंत्रिमंडल में एक और विस्तार की संभावना बाकी है।
नौ नामों पर सहमति बनाने से पहले शनिवार को दिन भर माथापच्ची होती रही। मथुरा में संघ प्रमुख सहित संघ के आला अधिकारियों से दो बार विमर्श के बाद दिल्ली पहुंचे भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने घंटों माथापच्ची की। उसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अंतिम विमर्श के बाद नौ नामों को मंजूरी दी गई। सहयोगी दलों के साथ विभागों और कैबिनेट में सीटों की संख्या का मामला न सुलझने के कारण सिर्फ पार्टी से ही जुड़े लोगों को शपथ दिलाने पर सहमति बनी।
नई टीम में पूर्व नौकरशाहों की फौज
नए चेहरे को शामिल करने के मामले में कार्यक्षमता को पैमाना बनाने वाले पीएम ने चुनावी राज्यों की भी परवाह नहीं की है। विस्तार में प्रधानमंत्री के गृह राज्य गुजरात, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़ को अहमियत नहीं दी गई है। खास बात यह है कि नौ नए चेहरों में दो पूर्व आईपीएस, एक पूर्व आईएसएस और एक पूर्व आईएफएस अधिकारी हैं।
यूपी के लिए खास रणनीति
विस्तार में सियासी दृष्टि से सबसे महत्वपूर्ण सूबा उत्तर प्रदेश के लिए खास रणनीति दिखती है। संगठन कार्य में दक्ष और पूर्वी उत्तर प्रदेश में खास असर रखने वाले ब्राह्मण बिरादरी के शिवप्रताप शुक्ला और पश्चिम उत्तर प्रदेश के बागपत के सांसद सत्यपाल सिंह को जगह दी गई है।
गौरतलब है कि इसी सूबे से महेंद्र नाथ पांडे, कलराज मिश्र और संजीव बालियान की मंत्रिमंडल से छुट्टी की गई है। इनमें से पांडे को जहां प्रदेश संगठन की कमान दी गई है, वहीं मिश्र को राज्यपाल बनाने पर सहमति बनी है। जाट बिरादरी के बालियान की जगह इसी बिरादरी के सत्यपाल को मंत्रिमंडल में शामिल कर मोदी-शाह ने इस बिरादरी को नाराज होने की गुंजाइश नहीं छोड़ी है।
खास बात यह है कि पार्टी ने ब्राह्मण बिरादरी से अध्यक्ष बनाने के बाद मंत्रिमंडल में भी ब्राह्मण चेहरे के रूप में शिवप्रताप को शामिल कर इस बिरादरी को साधे रहने की रणनीति बनाई है। पार्टी का मानना है कि चूंकि कलराज को राज्यपाल बनाया जाना तय है। ऐसे में गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनाव में पार्टी को इस बिरादरी की नाराजगी नहीं झेलनी होगी।
बिहार से भी खास संकेत
इस सूबे से राजीव प्रताप रूडी की छुट्टी हुई है। इसके अलावा एक और मंत्री की छुट्टी की संभावना बनी हुई है। पीएम ने राजपूत बिरादरी के रूडी की जगह इसी बिरादरी के आरके सिंह पर दांव लगाया है। इसके अलावा राज्य के ब्राह्मण चेहरे अश्विनी चौबे को जगह दे कर सूबे में अगड़े मतदाताओं को साधे रखने की रणनीति बनाई है।
अलफोंस और पुरी का नाम चौंकाने वाला
अलफोंस और पुरी का नाम चौंकाने वाला
नौ नए चेहरों में केरल के अलफोंस और पूर्व आईएफएस हरदीप सिंह पुरी का नाम चौंकाने वाला है। पूर्व आईएएस अधिकारी और निर्दलीय विधायक रहे अलफोंस को मंत्रिमंडल में जगह दे कर मोदी और शाह ने केरल में संगठन विस्तार के लिए पूरी ताकत झोंकने का साफ संदेश दे दिया है। जबकि यूएन में भारतीय मिशन के स्थाई प्रतिनिधि और गहरी कूटनीतिक समझ रखने वाले पुरी को मंत्रिमंडल में जगह दे कर प्रधानमंत्री ने विदेश मंत्रालय में बड़ा परिवर्तन का संदेश दिया है।
फेरबदल में सबसे ज्यादा चौंकाएंगे पीएम
फिलहाल नौ चेहरों को कैबिनेट में शामिल करने का निर्णय लिया गया है, मगर असली सियासी ड्रामा विभागों के बंटवारे पर होने वाला है। सूत्रों के मुताबिक पीएम ने दर्जन भर मंत्रियों के विभागों में बदलाव का मन बनाया है। रक्षा, रेल और कृषि मंत्रालय को ले कर सस्पेंस कायम है।
पीएम चाहते हैं कि इन सभी मंत्रालयों की जिम्मेदारी कद्दावर नेताओं को दी जाए। कैबिनेट के शीर्ष चार मंत्री राजनाथ, जेटली, गडकरी और सुषमा की इन मंत्रालयो में दिलचस्पी नहीं है। जबकि नए चेहरों की सूची जारी करने से पूर्व पीएम ने गडकरी के साथ मैराथन बैठक की है। सूत्रों का कहना है कि विभागों में बदलाव और फेरबदल में पीएम मोदी की असली रणनीति सामने आएगी।
उलझी गुत्थी ने रोका सहयोगियों का रास्ता
विस्तार से पूर्व राजग के नए सहयोगी जदयू को कैबिनेट में शामिल करने, शिवसेना, टीडीपी को एक-एक अतिरिक्त मंत्रालय देने और अन्नाद्रमुक को शामिल करने का प्रस्ताव था। पीएम जदयू को एक कैबिनेट और एक राज्य मंत्री का पद देने के लिए तैयार थे। मगर पेंच विभाग पर फंस गया।
बिहार के सीएम अपनी पार्टी के लिए हैवीवेट मंत्रालय चाहते थे। इस पर सहमति नहीं बनने के कारण बाद में विमर्श का फैसला लिया गया। पीएम टीडीपी के इकलौते मंत्री गजपति राजू को पदोन्नति देना चाहते थे, जबकि टीडीपी एक और विभाग चाहती था। इसी प्रकार शिवसेना भी अपने लिए एक अतिरिक्त कैबिनेट बर्थ चाहती थी। जबकि उसे एक राज्य मंत्री का प्रस्ताव दिया गया था। अन्नाद्रमुक के मामले में खुद पीएम ने दोनों धड़ों में विलय की प्रक्रिया पूर्ण होने तक इंतजार का निर्णय लिया।