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Sunday, March 23, 2025

मोदी को मात देने के लिए अखिलेश का बड़ा दांव, अनुप्रिया के सामने इस दिग्गज नेता को टिकट दे सकती है सपा

मिर्जापुर. 2014 के लोकसभा के चुनाव में भाजपा ने जिस दांव से विपक्ष को घेरने का काम किया किया था। उसी प्लान से आने वाले चुनाव में महागठबंधन भी बीजेपी को परास्त करने के मूड में दिख रहा है। कहीं भाजपा के बड़ नेताओं से संपर्क साधकर उनसे दोस्ती का हाथ बढ़ाना तो कही बीजेपी के नेतओं को आने वाले दिनों में टिकट का प्रलोभन देकर उन्हे अपने पाले में खींचने की पूरी कोशिश करने की जुगत में सपा के राष्ट्रीय अखिलेश यादव लगे हुए हैं। अखिलेश का दांव ये भी है कि जहां भाजपा या उसके गठबंधन के नेता की बेहतर पैठ है उसी के किसी पैर्लर नेता को वहां से उतार कर भाजपा के दिग्गजों को माते देने का काम किया जाये।
जी हां सपा कुछ इसी तरह की रणनीति बना रही है मिर्जापुर सीट पर। सूत्रों की मानें तो इस बार अखिलेश की रणनीति है कि मिर्जापुर संसदीय सीट पर मोदी सरकार में मंत्री अनुप्रिया पटेल को हराने के लिए उनकी सगी बहन और अपना दल की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वि पल्लवी पटेल को मैदान में उतारा जाये। बतादें कि पल्लवी पटेल अनुप्रिया की सगी बहन हैं और पारिवारिक लड़ाई में वो मां कृष्णा पटेल के साथ हैं। कुछ दिन पहले अपना दल ( कृष्णा गुट) सपा के साथ गठबंधन में हिस्सा बना था।
पटेल वोटरों में सपा की बन सकती है मजबूत पैठ
सूत्रों की मानें तो सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पटेल वोटरों को अपने पाले में लाने के लिए इस रणनीति पर काम कर रहे हैं। अखिलेश का माना है कि जैसे निषाद वोटरों के साथ मिलकर उपचुनाव में गोरखपुर सीट पर और पटेल वोटरों के साथ मिलकर फूलुपुर सीट पर भाजपा को हराया जा सका उसी तरह से मिर्जापुर सीट पर भी अनुप्रिया पटेल को हराने के लिए पल्लवी मजबूत दावेदार हो सकती हैं।
अखिलेश ने साध लिया सामाजिक समीरकरण तो भाजपा के लिए मुश्किल
अखिलेश यादव जिस तरह से आने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर सामाजिक समीकरण साधने में जुटे हैं उससे तो एक बात साफ है कि अगर पिछड़ी और अति पिछड़ी जातियों पर इसी तरह उनका फोकस रहा तो आने वाले समय में वो भाजपा के लिए मुश्किल खड़ी कर सकते हैं। एक तो बसपा के साथ से दलित वोटों को साथ आना और उपर से सामाजिक समीकरण में इन जातियों को जोड़ लेने से अखिलेश अपने दल को बड़ी मजबूती दे सकते हैं।
भाजपा के मूल वोटरों की पोलिंग हमेशा से रही चिंता का कारण
भाजपा की एक परेशनी ये भी है कि अगर उसके हाथ से पिछड़ी और अतिपिछड़ी वोटों को जनाधार खिसका तो उसकी चिंता बढ़ जाय़ेगी। क्यूंकि बीजेपी के मूल वोटर हमेशा से ही पोलिंग परसेंटेज में काफी पीछे रह जाते हैं। इसलिए भाजपा अगर अखिलेश के दांव को हल्के में लेने की भूल करेगी तो इसका उसे नुकसान उठाना पड़ सकता है।

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