नई दिल्ली। अफगानिस्तान में भारत के बढ़ते हुए प्रभाव से पाकिस्तान चिंता में है। अफगानिस्तान में अपना प्रभुत्व जमाने के लिए पाकिस्तान चीन की मदद लेगा।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह जानकारी यूएस इंटेलिजेंस ने अमेरिकी संसद को दी है। पाकिस्तानी अखबार डॉन की खबर के मुताबिक, सीनेट की आर्म्ड सर्विसेज कमिटी में अफगानिस्तान को लेकर हुई हालिया सुनवाई के दौरान यूएस इंटेलिजेंस प्रमुखों ने युद्ध से बदहाल अफगानिस्तान की स्थिति का आकलन किया और काबुल में पाकिस्तान के हित पर चर्चा की।
ट्रंप प्रशासन अफगानिस्तान में एक नई पॉलिसी को अंतिम रूप दे रहा है और वाइट हाउस में जारी विचार-विमर्श में अमेरिकी मीडिया और थिंक टैंक्स काफी दिलचस्पी दिखा रहा है।
रिपब्लिकन सांसद ऐडम किंगजिंगर ने हाल ही में पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर हवाई हमले फिर से शुरू करने का सुझाव दिया था। वॉशिंगटन के पर्यवेक्षकों का कहना है कि अगर आतंकी अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना और सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाएंगे तो अमेरिका पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर फिर बमबारी कर सकता है।
सीआईए और एफबीआई समेत दर्जनों जासूसी एजेंसियों की टीम का नेतृत्व करने वाली नैशनल इंटेलिजेंस डायरेक्टर डैन कोट्स ने कहा, ‘अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग पड़ने पर पाकिस्तान चिंतित है और भारत के बढ़ते हुए कद की नजर से अपनी स्थिति को देखता है।’
डॉन अखबार ने कोट्स का हवाला देते हुए लिखा है, ‘पाकिस्तान अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए चीन की मदद ले सकता है जिससे पेइचिंग को हिंद महासागर क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ाने में मदद मिलेगी।’
कोट्स ने कहा कि पाकिस्तान में आतंकवादियों पर लगाम कसने में इस्लामाबाद फेल हो गया है और इस असफलता के कारण ‘ये आतंकी गुट इस क्षेत्र में अमेरिका के हित पर खतरा पैदा कर रहे हैं और भारत एवं अफगानिस्तान में हमले की योजना बना रहे हैं और उसे अंजाम दे रहे हैं।’
डिफेंस इंटेलिजेंस डायरेक्टर लेफ्टिनेंट जनरल विंसेंट स्टूअर्ट ने कहा, ‘अफगानिस्तान के लिए जो हम चाहते हैं वही पाकिस्तान चाहता है यानी सुरक्षित, स्थिर अफगानिस्तान पाकिस्तान भी चाहता है। लेकिन पाकिस्तान अफगानिस्तान में भारत का ज्यादा प्रभाव नहीं देखना चाहता है। अगर पाकिस्तान को अपना हित पूरा होता हुआ नजर नहीं आएगा तो वह फिर अफगानिस्तान की स्थिरता को ध्यान में नहीं रखेगा।’