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Friday, December 13, 2024

मोर्चे का श्रेय लूट ले गई एनसीपी, कांग्रेस दुखी



नागपुर। एनसीपी के साथ मोर्चा निकालकर कांग्रेस अब पछता रही है, क्योंकि मोर्चे का पूरा श्रेय एनसीपी ले उड़ी। सब जगह शरद पवार ही छाए रहे। कांग्रेस के नेताओं को कोई तवज्जो नहीं मिली। कांग्रेस के नेता अब मानने लगे हैं कि एनसीपी के साथ मोर्चा निकालकर उन्होंने गलती की। वे कहते हैं कि विदर्भ में एनसीपी का कोई जनाधार नहीं है। मोर्चा को सफल बनाने के लिए कांग्रेस ने ऐड़ी-चोटी का जोर लगा दिया और श्रेय पवार की पार्टी को मिला। इससे तो बेहतर था कि मोर्चा कांग्रेस अकेले दम पर निकालती।

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अशोक चव्हाण से नाराज नेताओं ने इसकी शिकायत दिल्ली हाईकमान से करने का मन बनाया है। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि नागपुर के शीतकालीन सत्र से पहले कांग्रेस अपने दम पर विधान भवन तक मोर्चा निकालना चाहती थी, जिसका विदर्भ के कांग्रेस नेताओं ने पूरा समर्थन किया था। उसी वक्त एनसीपी की ओर से प्रस्ताव आया कि वे भी विधान भवन तक मोर्चा निकालने वाले हैं, तो क्यों न दोनों प्रमुख विरोधी दल मिलकर सरकार के खिलाफ मोर्चा निकालें।

दोनों ही दलों के नेताओं ने तय किया कि अधिवेशन के दूसरे दिन दोनों दल मिलकर ऐतिहासिक मोर्चा निकालेंगे। मोर्चा निकालने की बात जब पक्की हो गई तब एनसीपी ने कहा कि रैली में शरद पवार भी शामिल होना चाहते हैं। उनके आने के प्रस्ताव को कांग्रेस ठुकरा नहीं सकी। कांग्रेस ने तय किया वे राहुल गांधी को आमंत्रित करेंगे, लेकिन राहुल गांधी ने गुजरात चुनाव का हवाला देते हुए आने से इनकार कर दिया। तब महाराष्ट्र के कांग्रेस नेताओें ने गुलाम नबी आजाद से संपर्क किया। वे आने के लिए राजी हो गए, क्योंकि उन्होंने महाराष्ट्र से राज्यसभा का चुनाव भी लड़ा था।

मोर्चे को सफल बनाने के लिए एनसीपी और कांग्रेस ने खूब पसीना बहाया, लेकिन मोर्चे का पूरा श्रेय एनसीपी ने लूट लिया। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि मोर्चे को सफल बनाने में उनके लोगों ने मेहनत की, जबकि मीडिया में पवार के बयान ही छपे। हमारे नेताओं के भाषण को जो महत्व मिलना चाहिए था, नहीं मिला। मंगलवार को निकाले गए मोर्चे के बाद प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता सचिन सावंत ने ट्वीट कर कहा कि नागपुर में निकाले गए विपक्षी मोर्चे में कांग्रेस कार्यकर्ताओं की भागीदारी अधिक रही।

कांग्रेस के नेता व पूर्व मंत्री नितिन राऊत का कहना है कि किसानों के नाम पर निकाले गए मोर्चे में किसानों से ज्यादा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बात की गई। उन्होंने कहा कि पहले कांग्रेस की तरफ से 13 दिसंबर को अकेले मोर्चा निकालने की बात तय हुई थी, पर अचानक राकांपा के साथ मिलकर मोर्चा निकालने का फैसला स्थानीय कार्यकर्ताओं को पहले से ही रास नहीं आया था। उन्होंने कहा कि विदर्भ में राकांपा का कुछ आधार नहीं है। यह कांग्रेस का गढ़ है। हम अकेले अपने दम पर बड़ा मोर्चा निकाल सकते थे।

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