दीपक ठाकुर:NOI।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री की कुर्सी से हटाने का सपना देख रही विपक्षीय पार्टियों का विश्वास इस क़दर टूट गया है जिससे उनकी 19 की संभावनाएं भी धूमिल होती दिखाई देने लगी है।सरकार के लिए अविश्वास प्रस्ताव लेकर आने वाला विपक्ष सरकार के आगे नतमस्तक दिखाई दे रहा था और ऐसा लग रहा था जैसे वो खुद जानता है कि 2019 में भी केंद्र की बागडोर नरेंद्र मोदी के ही हाथों में होगी।
कल अविश्वास प्रस्ताव पर प्रारम्भ हुई बहस में कांग्रेस पार्टी ने अपनी पार्टी का जमकर प्रचार किया। राहुल गांधी की नज़र में तो कांग्रेस ही देश की एक विश्वसनीय पार्टी नज़र आ रही थी जिसके शासन काल में कोई भी दंगा फसाद और घोटाला नही हुआ था जो कुछ भी हुआ वो केंद्र में भाजपा सरकार बनने के बाद हुआ।राहुल ने विपक्ष पर धार्मिक उन्माद भड़काने के भी आरोप लगाए साथ ही ये भी कहा के भाजपा नफरत फैलाने का काम करती है जिससे देश की एकता अखण्डता को खतरा है।वही राहुल गांधी के सुर में सुर मिलाते नज़र आये फारुख अब्दुल्ला साहब उनके वक्तव्य से भी यही मालूम पड़ रहा था मानो भाजपा से देश मे हिन्दू मुस्लिम भाईचारे को बहुत बड़ा खतरा है अब्दुल्ला साहब भी सरकार से देश मे शांति बनाए रखने की वकालत करते नज़र आ रहे थे।
विपक्ष के हर आरोप को सत्ता धारी पार्टी बड़ी गंभीरता से सुन रही थी तो वही दूसरी तरफ विपक्ष सत्ता धारी पक्ष वाले लोगो को बिना रोक टोक बोलने भी नही दे रहा था।देर रात तक चले संसद सत्र में राहुल गांधी सबके आकर्षण के केंद्र बने रहे संसद से शुरू हुआ उनका घटनाक्रम सोशल मीडिया तक वायरल हो गया था।प्रधानमंत्री को गले लगाने वाला सीन और उनके बाद आंख दबाने वाली क्रिया ने ये साफ कर दिया था कि यहां गले लगना भी उनका एक नाटक है जिससे उन्होंने सभी का मनोरंजन किया था
जिसका जवाब भी प्रधानमंत्री जी ने मज़ाकिया अंदाज़ में ऐसा दिया कि राहुल गांधी की आंखे खुली की खुली रह गई।खैर ये सब ड्रामा और हंसी मजाक के बाद जब वोटिंग हुई तो ऐसा कुछ भी सामने नही आया जिससे लोग चकित होते क्योंकि सभी को लग ही रहा था कि ये अविश्वास प्रस्ताव महज़ विपक्ष का एक नाटक से ज़्यादा कुछ भी नही है क्योंकि अकेले भाजपा के पास ही पूर्ण बहुमत का आंकड़ा पहले से ही मौजूद था।
पर यहां विपक्ष जिस तरह औंधे मुंह गिरा उससे इसके महागठबंधन वाली योजना पर सवालिया निशान ज़रूर लगता दिखाई दे रहा है।अभी तक ये लगता था कि सब मिलकर मोदी के विजय रथ को रोकने में सफल हो भी सकते है पर कल के बाद अब ऐसा लग रहा है कि मोदी के आगे महागठबंधन जैसी कोई शक्ति विपक्ष के किसी काम नही आएगी और 2024 में दोबारा विपक्ष को ये प्रस्ताव लाना पड़ेगा जसका जिक्र खुद प्रधानमंत्री ने लोकसभा में किया था।अब एनडीए के लिए 2019 की राह का रोड़ा बनने का दावा करने वाला महागठबंधन चुनावी महासमर में कितना असरकारक होगा ये तो समय बताएगा लेकिन मोदी की चुनौती ये बताने में ज़रूर कामयाब दिखाई दे गई कि 2024 में जब अविश्वास प्रस्ताव ले कर आना तो पूरी तैयारी के साथ आना।