दीपक ठाकुर:-NOI।
आरबीआई ने 5 मार्च को जो एलान किया उसने यस बैंक के खाताधारकों को बेचैन कर दिया वजह थी कि यस बैंक खाताधारक फिलहाल अगले आदेश तक अपने ही खाते से 50 हज़ार महीने से ज़्यादा नही निकाल सकते भले ही उनका महीने का खर्च इससे ज़्यादा हो।
बस इसी खबर ने उन खाताधारकों के होश फाख्ता कर दिए जिनका अधिक पैसों के बिना गुज़ारा हो पाना ही मुश्किल था और उनके माथे पर ये शिकन भी थी कि कहीं उनका पैसा डूब तो नही जाएगा?ऐसा होना भी लाज़मी है क्योंकि पूर्व में ऐसी कई घटनाएं हो भी चुकी हैं लेकिन आरबीआई का ये फरमान कहीं और बैंकों पर भी ना जारी हो इसके लिए भी लोग आशंकित हैं
लोगों को बैंकों में हुए घपलों और घोटालों से ऐसा संदेह हो रहा है जो सही भी है बैंक का सिस्टम ही कुछ ऐसा है जो विश्वास के योग्य कम ही नज़र आता है अगर ऐसा ना होता तो विजय माल्या और नीरव मोदी जैसे लोग भारत छोड़ के ना भागे होते।
आरबीआई में जिस तरह की उथल पुथल बीते दिनों में हुई है उससे तो यही लगता है कि मौजूदा बैंकिग हालात और हमारे देश की अर्थव्यवस्था ठीक नही है सरकार भले जनता से ना घबराने की अपील करे पर घबराहट होना भी लाज़मी है क्योंकि जब जब देश मे आर्थिक भूचाल आया है तब तब आम जनता ही पिसी है ना ही किसी सरकार पर कोई आंच आई है
और ना ही किसी सरकारी नुमाइंदे का बाल बांका हुआ है मरा है तो सिर्फ आम आदमी जो मेहनत कर पैसा जमा करता है और उसी पैसों को वापस लेने के लिए सरकार से गुहार लगाता है कि उसका पैसा उसको वापस दिला दो वाह क्या यही है 21वी सदी का भारत जहां अपने पैसों को बैंक में जमा करना भी सबसे बड़ा रिस्क माना जाता है।