हमीरपुर: हमीरपुर जिला में बड़सर विस क्षेत्र में इस बार कांग्रेस-भाजपा की हार-जीत का फैसला क्षेत्र की जनता नहीं बल्कि निर्दलीय उम्मीदवार के हाथों होगा। बड़सर विस क्षेत्र में जातीय समीकरण भी हावी रहेंगे तथा ब्राह्मण और राजपूत जाति का दबदबा भी इस बार प्रत्याशियों की हार-जीत में अहम रहेगा। पुनर्सीमांकन से पहले बड़सर विस क्षेत्र नादौनता के रूप में जाना जाता था, वहीं नादौनता विस क्षेत्र से वर्ष 1998 से लेकर 2012 तक करीब 15 वर्षों तक लगातार 3 बार बलदेव शर्मा विधायक रहे लेकिन पुनर्सीमांकन के बाद वर्ष, 2012 में बलदेव शर्मा बेहद नजदीकी मुकाबले में कांग्रेस के नए प्रत्याशी इंद्र दत्त लखनपाल से मात्र 2604 मतों से हार गए।
इस निर्दलीय प्रत्याशी पर निर्भर करेगा फैसला
बड़सर से पहली बार कांग्रेस के विधायक बने इंद्र दत्त लखनपाल को मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने सी.पी.एस. भी बनाया ताकि भाजपा के गढ़ में सेंध लगाई जा सके लेकिन गत 5 वर्षों में सी.पी.एस. इंद्र दत्त लखनपाल द्वारा प्रशासन पर पकड़ न होने और विकास में बड़सर विस क्षेत्र में कोई नई योजना न ला पाने के आरोप भाजपा की तरफ से लगते रहे, वहीं क्षेत्र की जनता भी बलदेव राज और धूमल सरकार को याद करती रही क्योंकि गत 5 वर्षों में बड़सर विस क्षेत्र में लोगों के व्यक्तिगत कार्य नहीं हो पाए लेकिन कांग्रेस के प्रत्याशी इंद्र दत्त लखनपाल की स्वच्छ और मिलनसार छवि के सभी कायल हैं, ऐसे में एक बार फिर से कांग्रेस-भाजपा के दोनों प्रत्याशी दोबारा इस बार चुनावों में आमने-सामने हैं लेकिन इस बार भाजपा और कांग्रेस के लिए निर्दलीय प्रत्याशी सिरदर्द बना हुआ है जिसके चलते इस बार भाजपा-कांग्रेस की हार-जीत का फैसला निर्दलीय प्रत्याशी सीमा राम भारद्वाज पर भी निर्भर करेगा। सीमा राम भारद्वाज बड़सर में इस बार चुनावों में अपनी ताकत दिखा चुके हैं तथा उनकी सभाओं में भी भीड़ इकट्ठा हुई है।
जातीय समीकरण भी रहते हैं हावी
बड़सर विस क्षेत्र में जातीय समीकरण भी हावी रहते हैं, वहीं भाजपा कांग्रेस और निर्दलीय प्रत्याशी यह तीनों ही ब्राह्मण समुदाय से आते हैं लेकिन बड़सर विस क्षेत्र में तपा ढटवाल क्षेत्र की करीब 18 पंचायतें ऐसी हैं जिनमें राजपूत समुदाय के ज्यादा वोटर हैं, ऐसे में किसी भी प्रत्याशी की हार-जीत का फैसला तपा ढटवाल क्षेत्र भी करने में अहम रोल अदा कर सकता है।
बड़सर विस क्षेत्र में 80717 वोटर
बड़सर विस क्षेत्र में कुल 110 बूथ हैं जबकि कुल वोटर 80717 हंै। जिनमें 40802 महिला वोटर और 39915 पुरुष वोटर हैं, वहीं 2012 में बड़सर में करीब 62 प्रतिशत मतदान हुआ था, जबकि इस बार 70 प्रतिशत मतदान हुआ है, ऐसे में बड़सर में इस बार भी हार-जीत का फैसला बेहद नजदीकी होने वाला है लेकिन यह तो 18 दिसम्बर को ही पता चलेगा कि बड़सर में फिर से कांग्रेस जीतती है या फिर भाजपा बड़सर में जीत दर्ज करती है।
क्या कहते हैं भाजपा प्रत्याशी
बड़सर विस क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी बलदेव शर्मा का कहना है कि बड़सर की जनता ने कांग्रेस राज में बड़सर से हुए भेदभाव और भ्रष्टाचार के खिलाफ वोट डाला है। उन्होंने कहा कि बड़सर में इस बार कमल खिलेगा और धूमल के नेतृत्व में प्रदेश में भाजपा की सरकार बनेगी। जिसके बाद केंद्र और प्रदेश में भाजपा की सरकार होने के बाद विकास शुरू होगा।
क्या कहते हैं कांग्रेस प्रत्याशी
सी.पी.एस. और बड़सर से कांग्रेस प्रत्याशी इंद्र दत्त लखनपाल का कहना है कि बड़सर में कांग्रेस रिपीट करेगी तथा सी.पी.एस. इंद्र दत्त लखनपाल फिर से जीत दर्ज करेंगे तथा प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के नेतृत्व में फिर से कांग्रेस की सरकार बनेगी।