महोबा. प्रदेश में सरकार कोई भी हो मगर इन सरकारों को बाशिंदों की कितनी फ़िक्र है ये किसी से छुपा नहीं है। पूर्व की सरकार बिजली व्यवस्था को लेकर खुद को संजीदा बताने का ढिढोरा पीटती रही तो वर्तमान की योगी सरकार भी विद्युत व्यवस्था को दुरुस्त करने के हवाई दावें कर रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में 20 घण्टे बिजली दिए जाने के आदेश कागजी बनकर रह गए हैं। यहीं नहीं बुंदेलखंड के महोबा में एक गांव तो अपने बसने के बाद से ही बिजली व्यवस्था के लिए मोहताज है जबकि इस गांव के लोगों को विभाग हजारों रुपये के बिल थमा रहा है। गांव में खम्भे तो लगा दिए गए मगर आज तक इन खम्भों में विद्युतीकरण नहीं हुआ। बिजली का मजा लेने से पहले ही ये गांव बिलों की सजा भुगतने के लिए मजबूर है।
प्रदेश का निजाम बदला मगर लचर रवैया नहीं बदल सका। पूर्व की सपा सरकार ने यूपी की बिजली व्यवस्था को लेकर कई बार अपनी पीठ थपथपाई मगर इनकी नाकामी ने इन्हें सत्ता से ही बेदखल कर दिया। अब जबकि बीजेपी के हाथों में प्रदेश की कमान है और सरकार शहर ही नहीं गांवों को भी 20 घण्टे बिजली देने का ऐलान कर चुकी है। गांवों को भरपूर बिजली देने के इनके दावें बुंदेलखंड में खोखले नजर आ रहे हैं। महोबा जनपद के क्षेत्र कबरई से लगा हुआ गांव छानीकलां अपने बसने के बाद से अंधकारमय जीवन जीने के लिए मजबूर है। तीन हजार आबादी वाले इस गांव में राजीव गाँधी विद्युतीकरण योजना के तहत गांव में 10 वर्ष पूर्व खम्भे लगाए गए जो आज भी बे-तार खड़े हैं। आजादी के बाद से आज तक बिजली भी नसीब नहीं हुई।
कई पीढ़ी अँधेरे में अपना गुजारा कर चुकी है तो वहीँ वर्तमान भी दीपक और लालटेन के सहारे गुजर रहा है। स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे लालटेन की रौशनी में पढ़ने के लिए मजबूर हैं। इस भीषण गर्मी में जहाँ जनप्रतिनिधि और अधिकारी अपने घर की एसी का आंनद उठाते होंगे वहीँ इस गांव के बुजुर्ग हाथ के पंखों के सहारे हैं। कबरई कस्बे से महज 6 किलोमीटर दूर इस गांव में बिजली न पहुंचना विभाग की लापरवाही का ही नतीजा है।
10 वर्ष पूर्व खम्भे लगने के बावजूद भी विद्युतीकरण न होना पूर्व और वर्तमान सरकार के लिए किसी नाकामी से कम नहीं।इससे भी अफसोस जनक बात यह है कि विभाग पिछले कई वर्षों से गांव के बाशिंदों को भारी भरकम बिल थमा रहा है। ग्रामीणों की माने तो गांव बसने के बाद से ही गांव में बिजली न होना इनके लिए अभिशाप जैसा है,विकास की दौड़ में पिछड़े इस गांव के लोग प्रदेश सरकार और प्रशासन को कोसने के लिए मजबूर है। ग्रामीणों ने बताया कि पिछली पंचवर्षीय पंचायती चुनाव में एक उम्मीदवार ने बिजली दिलाने के नाम पर उनके राशनकार्ड लेकर कनेक्शन करा दिए लेकिन आज तक बिजली ही नसीब नहीं हुई जब गांव में विद्युतीकरण ही नहीं हुआ तो बिजली मिलना तो दूर की बात है।
मगर विभाग ने शिकायत करने के बाद भी इस गांव में कभी झाँका तक नहीं। गांव में विभाग हजारों रुपये के बिल पहुंचा रहा है। ये बिल उनकी बदकिस्मती को मुंह चिढ़ा रहे हैं। कागजों में गांव में बिजली पहुंच चुकी है और गांव रोशन है। यहां बिल पहुंचे तो ग्रामीण परेशान हो उठे हैं। बिना बिजली के बिल पहुंचने पर ग्रामीण हैरत में हैं। गांव की शांति के पास 26306 रुपये का बिजली बिल पहुंचा है। नंदकिशोर के पास 24113 रुपये का, राजू प्रजापति के पास 26306 का, रामेश्वर सहित कई ग्रामीणों के पास हजारों रुपये के बिल पहुंचे है। उनका कहना है कि जब गांव में बिजली ही नहीं है तो बिल कैसे भेज दिये गये, ग्रामीणों ने बताया कि वह इस मामले की उच्चाधिकारियों से शिकायत भी कर चुके है, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला है। लम्बे चैड़े बिल देखकर बिजली विहीन गांव के ग्रामीण परेशान है।
सीएम योगी के दावों की कलई खोलती बिजली विभाग की इस खामी पर जब हमने विद्युत वितरण खंड के अधिशाषी अभियंता नन्नू सिंह से बात की तो उनके जवाब व्यवस्था पर ही सवाल खड़े करते नजर आये है। इनकी माने तो ग्रामीणों के आरोप गलत है। उन्होंने कहा कि बिजली का उपयोग किया है। मामले की जाँच कराई जा रही है, उसके उपरांत ही आगे की कार्यवाही होगी।