लखनऊ – आसमोहम्मद कैफ- NOI । यूपी में साउथ स्टाइल राजनीति का उदय है या फिर एक नेता के प्रति जनता का उमड़ा स्नेह ? रात्रि के 11 बजे थे और राजधानी की सडक़ों पर युवाओं का हुजूम सुबह के 7 बजे थे और फिर हुजूम। कोई रो रहा था कोई मरने-मारने पर उतारू । कहीं जिंदाबाद के नारे लग रहे हैं तो कहीं मुर्दाबाद के। सपा मुख्यालय, मुख्यमंत्री आवास और मुलायम-शिवपाल का घर छावनी में तब्दील कर दिया था । सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को पार्टी से निकाल दिया था मगर भारी विरोध ने उन्हें वापस लेने मजबूर कर दिया ,जब शुक्रवार को देर शाम टीवी पर यह सुना तो किसी को यकीन नही हो रहा था ,तरह तरह की बात हो रही थी ,राजनैतिक इतिहास का यह पहला मौका था कि किसी पिता ने अपने मुख्यमंत्री पुत्र को पार्टी से सस्पेंड किया हो ,रात भर तरह तरह की बात होती रही ,कभी आज़म को सीएम बनाने की बात ,कभी चंद्रशेखर जी की समाजवादी जनता पार्टी के जिक्र , रात भर तक कानूनी सलाहकारो का जमावड़ा ,देश के तमाम बड़े लोगो का अखिलेश यादव मे विश्वास और उनके नेतृत्व मे चुनाव लड़ने की सहमति दिखाना ,मगर जनता ने उन्हें अपने दिलों में बिठा लिया ,लोगो ने दलगत राजनीति से ऊपर उठकर कहा की अखिलेश सही है।जननायक अखिलेश का उदय
सारे दागदार एक तरफ हो गए और बेदाग अखिलेश की तरफ 203 विधायक अखिलेश को सलाम करने पहुंच गए और उन्होंने सहमति पत्र भी लिख दिया ,
आज़म खान ने भी आज एक महत्वपूर्ण रोल अदा किया , कल तक सबकी जुबान पर एक सवाल था । क्या सही बात के लिए लडऩा गलत है। आखिर मुलायम चाहते क्या हैं? सवाल दर सवाल। चुनाव के ठीक पहले पार्टी टूटने का उतना गम लोगों को नहीं जितना बेटे को पार्टी से बाहर निकालने का था ,नोजवानो मे एक ऊर्जा थी ,इलाहाबाद के जाकिर हुसैन ने खून से चिट्ठी लिखी और उनकी वापसी की अपील की ,समर्थक किसी भी हद तक जाने को तैयार थे , सभी क्रोधित मोड़ मे थे ,उन्हें मना किया गया किसी के प्रति अपशब्द न कहें। हुजूम था उमड़ा चला आया सारी रात आखिर अखिलेश में जादू है यह दुनिया ने देख लिया भारत मे एक राष्ट्रीय नेता का उदय हो गया , यूपी की राजनीति में शायद ही ऐसा कभी हुआ हो जब एक नेता के प्रति इतना प्यार उमड़ा है। अखिलेश जननायक बन गए ,लोगो मे वैसे ही बेचैनी थी जैसी अभी दक्षिण मे देखी गयी ,एक और मजेदार बात थीमुलायम सिंह यादव और शिवपाल समर्थकों की फौज गायब थी सब छिप गए थे । नेताओं के घरों की चौकसी बढ़ा दी गई थी । खुद डीजीपी दोनों भाइयों के घरों की सुरक्षा का जायजा ले रहे थे लखनऊ ही नहीं, लखनऊ के बाहर अन्य जिलों से भी इसी तरह की खबरें आई थी । अखिलेश के समर्थन में कहीं किसी ने आत्मदाह की कोशिश की तो किसी ने हाथ की नसें काट लीं । चुनाव में उतरने के पूर्व जब युवक अखिलेश के लिए इस कदर उन्मादा है तो चुनाव में क्या हश्र होगा इसका अंदाजा अभी से लगाया जा सकता था लखनऊ मे पिछले तीन दिनों मे सर्दी बढ़ी है मगर मगर अखिलेश के लोगो ने तापमान बढ़ा कर बेलेंस कर दिया ,आज ऐसे नोजवान समझोते के बाद जश्न मना रहे थे जिनके आंसू ओस की बूंद की तरह हो गए थे , लखनऊ मे युवाओं के जोशीले नारों की गरमी ने सर्द रात के फाहों में भी गरमाहट ला दी है। उम्मीद की जा सकती है चुनावों तक यह गरमी कायम रहेगी। इस गरमी की तपिश को भाजपा,बसपा और कांग्रेस भी महसूस कर रही हैं। उन्हें ठंड में पसीना छूट रहा है। अखिलेश का यही जलवा कायम रहा तो आगे क्या होगा