लखनऊ,NOI।यूपी में सियासी गर्मी जमीन पर तो महसूस की ही जा रही है, आभासी दुनिया में भी एक युद्ध छिड़ा हुआ है। फेसबुक लाइव से रैलियां, प्रेस कॉन्फ्रेंस प्रसारित-प्रचारित की जा रही हैं। ट्विटर पर भी एक विशेष हैश टैग से इसे ट्रेंड कराया जा रहा है। ट्विटर पर ट्रेंड हुई तो रैली हिट, नहीं तो फ्लॉप। कुल मिलाकर यूपी के चुनाव में इस बार सोशल फंडा जमकर चल रहा है।
सोशल मीडिया पर भी गठबंधन
तकनीक का इस्तेमाल यूं तो प्रचार में आम है, लेकिन यूपी की सियासत में इसकी सरगर्मी इस बार कुछ ज्यादा ही है। यूपी कांग्रेस का सोशल मीडिया सेल उतना संसाधनयुक्त नहीं हो सका तो इसे दिल्ली के सोशल मीडिया वॉर रूम से जोड़ दिया गया। पार्टी नहीं चाहती कि सोशल मीडिया ऐक्टिविटी में वह किसी से भी पीछे रहे। एसपी से गठबंधन होने के बाद राहुल-अखिलेश की संयुक्त सभाओं से लेकर संयुक्त रोड शो की मॉनिटरिंग और सोशल मीडिया पर प्रचार जनेश्वर मिश्र ट्रस्ट से हो रहा है। यहां कांग्रेस के रणनीतिकार प्रशांत किशोर की टीम जुटी है।
बीजेपी के पास बड़ी फौज
बीजेपी को देखा जाए तो उसके पास साइबर योद्धाओं की बड़ी फौज है। हर विधानसभा पर 11 सदस्यों की टीम है। मोदी की रैली शुरू होते ही विशेष हैश टैग के साथ ट्विट, रिट्वीट होने लगता है। केंद्रीय नेतृत्व और पीएम नरेंद्र मोदी का ट्विटर हैंडल इनके लिए बड़ा अस्त्र है।