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Monday, January 20, 2025

 यूपी निकाय चुनाव  2017: नोटबंदी का नहीं असर, नेताओं को खूब मिल रहा चंदा,पढ़े पूरी खबर



शाहजहाँपुर। देश के प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने 8 नवम्वर, 2016 को देश की सबसे बड़ी भारतीय मुद्रा 500 और 100 के नोट बंद करने का ऐलान किया था। इससे भले ही देश की अर्थव्यस्था पर असर पड़ा हो, लेकिन अगर हम बात शाहजहाँपुर में नेताओं को मिलने वाले चंदे की तो, उस पर कोई असर नहीं पड़ा। 2017 के विधानसभा चुनाव और होने जा रहे निकाय चुनाव में पिछले चुनाव की अपेक्षा और ज्यादा चन्दा देने का काम किया है। 

 चंदे में कोई कमी नहीं

अब से एक साल पहले देश में नोट बन्दी के बाद लोगों ने तमाम परेशानियों का सामना किया हो लेकिन शाहजहांपुर में नेताओं को मिलने वाले चंदे में बेतहाशा बढ़ोत्तरी आ गयी है। जिसमे नोटबंदी के बाद हुए पहले विधानसभा चुनाव में भी जिले के तमाम उद्योगपतियों ,कारोबारियों ,मिल फैक्ट्री और पेट्रोल पम्प मालिकों ने जिताऊ नेताओं को जमकर चंदा दिया। चन्दा देने की इस परम्परा को होने जा रहे निकाय चुनाव में भी बदस्तूर जारी रखा है।

चंदे के रूप में खपाते हैं कालाधन

आपको बता दे कि शाहजहांपुर में राजनीतिक दलों के चुनाव लड़ने वाले नेता बेसब्री से इन चंदादाताओं का इन्तजार करते हैं। उतनी ही बेसब्री से ये कारोबारी चंदादाता अपने कालेधन को इन नेताओं के यहां चंदे के रूप में खपाने को तैयार रहते हैं। चुनाव के बाद चंदा मुहैया कराने वाले ये कारोबारी इन राजनेताओं की छत्रछाया में अपने काले कारोबार को अंजाम देते हैं।

राजनेता करते हैं मदद

आपको बता दें कि शाहजहाँपुर में पेट्रोल पम्प की आड़ में नकली डीजल और पेट्रोल को खपाना, लकड़ी कारोबारी बड़ी तादात में सरकारी लकड़ी काटने के धंधे को बचाने, सरसों के तेल के व्यापारी मिलावटी खाने के तेल को तैयार करने की फैक्ट्रियों को चलाने और रियल एस्टेट कारोबारी अपने धंधों को अंजाम देते हैं। चंदा के बल पर जी रहे ये ही राजनेता उन्हें बचाने में मददगार साबित होते है।

ताकि बात छिपी रहे

सूचना का अधिकार (आरटीआई) एक्टिविस्ट ओमकार मिश्रा का कहना है कि नेताओं को पूंजीपति पैसा इसलिए देते हैं कि उनकी बात छिपी रहे। बड़े आदमी आज भी नेताओं पर पैसा खर्च कर रहे हैं। उनकी सेहत पर कोई असर नहीं है। आम आदमी ही परेशान है। चन्दा लेने वाले एक नेता के चुनाव मैनेजर की मानें तो अगर प्रत्याशी जिताऊ है, तो ये कारोबारी उस पर जमकर पैसा खर्च करने को तैयार रहते हैं। बस चुनाव बाद इन लोगों की भविष्य में होने वाली परेशानियों से बचाने का ध्यान रखना होता है।

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