लखनऊ,मो इरफ़ान शाहिद। उत्तर प्रदेश की राजनीति में तीन युवाओं का नाम खूब चर्चा में बना हुआ है। इन तीनों युवाओं पर यूपी की जनता की नज़रे टिकी हैं। राहुल,अखिलेश और जयंत तीनों की सोच एक जैसी है तीनों की तालीम विदेश में हुई है। दिलचस्प बात ये है कि जल्द ही तीनों के हाथों में अपनी-अपनी पार्टी की कमान भी आने वाली है। दो राष्ट्रीय दल से हैं तो एक प्रदेश की बड़ी सत्ताधारी पार्टी से। हम बात कर रहे हैं राहुल गांधी, अखिलेश यादव और जयंत चौधरी की। जल्द ही युवाओं की ये तिकड़ी आपको यूपी के चुनावों में भी एक मंच पर हाथ पकड़े दिखाई दे सकती है। अगर तीनों के बीच गठबंधन हो जाता है तो ये तीनों युवा नेता यूपी की राजनीति में एक नई इबारत लिख सकते हैं।
अगर बात यूपी के सीएम और सपा नेता अखिलेश यादव की करें तो पिछले तीन महीने से वो सपा की कमान अपने हाथ में लेने की कोशिश करते हुए पार्टी की बुराईयों को मिटाने की कोशिश करते दिख रहे हैं। विकास के नाम पर वोट मांगकर दोबारा से सत्ता में आने की कोशिश भी जारी है। अपनी इस कोशिश को कामयाब बनाने के लिए अखिलेश ने यूपी में विकास कार्यों की एक लकीर भी खींची है।
भाषण और विचारों में ही सही, लेकिन राजनीति में कुछ नया करने की अपनी चाहत को जयंत भी जाहिर कर चुके हैं। यह बात अलग है कि भाषणों के लिए उन्हें राहुल गांधी जैसा मंच न मिला हो और कुछ करने के लिए अखिलेश यादव सरीखी सत्ता, लेकिन संसद के गलियारों में रहते हुए उन्होंने किसानों की जमीन अधिग्रहण के संबंध में जरूर एक बिल बनवाने की दिशा में यादगार काम किया है। बेशक अभी तक अखिलेश की तरह से इन्होंने पार्टी की कमान अपने हाथ में लेने का बिगुल न फूंका हो, लेकिन रालोद में बहुत हद तक जयंत की दखलंदाजी से इंकार नहीं किया जा सकता है।
राजनीति की नई परिभाषा
समाजवादी पार्टी के युथ विंग के नेता व अखिलेश के करीबी अनीस राजा का कहना है कि राहुल गांधी, अखिलेश यादव और जयंत चौधरी का एक साथ यूपी चुनाव में आना एक नया और पहला प्रयोग होगा। इस बात में कोई शक नहीं है कि चुनावों के दौरान इसका गहरा असर पड़ेगा और ये प्रयोग राजनीति की परिभाषा को भी बदलेगा।