लखनऊ – उत्तर प्रदेश सरकार ने गोरखपुर में 22 मई, 2007 को हुए सीरियल ब्लास्ट के आरोपी तारिक कासमी के खिलाफ दर्ज मुकदमा वापस ले लिया है। सरकार की उच्चाधिकार समिति ने यह फैसला न्याय विभाग के परामर्श के आधार पर किया है। आजमगढ़ जिले के सरायमीर कस्बे का मूल निवासी तारिक कासमी इस वक्त लखनऊ जेल में बंद है।
बुधवार को गृह सचिव सर्वेश चंद मिश्र ने एनेक्सी के मीडिया सेंटर में पत्रकारों को सरकार के इस अहम फैसले से अवगत कराया। गृह सचिव ने बताया कि गोरखपुर के जिलाधिकारी व एसएसपी से आख्या प्राप्त करने और न्याय विभाग के परामर्श से मुकदमा वापस करने का निर्णय लिया गया है। मुकदमा वापसी की प्रक्रिया के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों पर उच्च स्तरीय समिति का फैसला होता है, जिसमें प्रमुख सचिव न्याय और प्रमुख सचिव गृह का परामर्श होता है। बाराबंकी में तारिक की गिरफ्तारी को गलत ढंग से दिखाए जाने और निमेष आयोग की रिपोर्ट के मसले पर उन्होंने स्वीकार किया कि आयोग ने एसटीएफ की कार्रवाई पर संदेह व्यक्त किया है। ध्यान रहे कि गोरखपुर विस्फोट में छह लोग घायल हुए थे। इस मामले में तारिक कासमी पर विस्फोटक एक्ट, हत्या के प्रयास सहित कई अन्य मुकदमे हैं।
अब अदालत करेगी फैसला
अखिलेश सरकार का यह पहला फैसला है, जिसमें किसी आतंकी घटना के आरोपी से मुकदमा वापस किया गया है। तारिक के परिवारीजन ने राज्य सरकार से उसके मुकदमे वापस लेने की मांग की थी। समाजवादी पार्टी ने मुसलमानों की रिहाई के लिए विधानसभा चुनाव के दौरान किए वादे पर अमल करने की शुरुआत तो कर दी है, लेकिन अब तारिक को गोरखपुर मामले मे बेगुनाह साबित कर रिहा कराने का मामला कोर्ट में है।
तारिक पर फैजाबाद, वाराणसी और लखनऊ की कचहरियों में 23 नवंबर, 2007 को हुए विस्फोटों में भी षड्यंत्र और शामिल होने के आरोप हैं। लेकिन, अब इस पर अदालत को फैसला लेना है।