गोरखपुर: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद खाली हो चुकी गोरखपुर सदर संसदीय सीट पर सबकी नजर है। हर कोई यह जानना चाहता है कि गोरखपुर सदर लोकसभा सीट पर भाजपा के टिकट का दावेदार कौन होगा? लेकिन, भाजपा के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी यह पत्ते अभी नहीं खोलें हैं कि उनका कौन खास इस सीट का हकदार होगा और किसका भाग्य पलक झपकते ही चमक जाएगा? बताते हैं कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कौन खास हैं, जो उनकी पांच बार से जीती हुई संसदीय सीट के हकदार हो सकते हैं?
गोरखपुर सदर लोकसभा सीट पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पांच बार से सांसद हैं। वह पहली बार वर्ष 1998 में चुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे। उसके बाद से वह लगातार इस सीट पर काबिज हैं। हालांकि अब वह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद का दायित्व संभाल रहे हैं। भारतीय संविधान के प्रावधानों के अनुसार मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्हें छह माह के भीतर त्यागपत्र देकर यह सीट खाली करनी होगी। ऐसे में हर कोई यह जानना चाहता है कि आखिर इस सीट का असली हकदार कौन है? आखिर भाजपा और योगी आदित्यनाथ का कौन खास गोरखपुर सदर संसदीय सीट का चेहरा बनकर सामने आएगा?
विधायक डा. राधामोहन दास अग्रवाल
भाजपा की बात करें तो पहला नाम गोरखपुर शहर विधानसभा क्षेत्र से विधायक डा. राधामोहन दास अग्रवाल का सामने आता है। माना जा रहा है कि वर्ष 2002 से लगातार चार बार से गोरखपुर शहर विधानसभा क्षेत्र से विधायक बन रहे डा. राधा मोहन दास अग्रवाल की छवि काफी अच्छी है। शीर्ष नेतृत्व में उनकी पकड़ भी काफी ऊपर तक है।
इसके साथ ही यह भी मायने रखता है कि गोरखपुर शहर विधानसभा सीट से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चुनाव लड़ते हैं, तो भाजपा शीर्ष नेतृत्व के निर्देश पर डा. राधामोहन दास अग्रवाल को यह सीट छोड़नी पड़ सकती है। विधायकी जाने के बाद भाजपा उन्हें गोरखपुर सदर संसदीय सीट से मैदान में उतार सकती है।
डा. वाईडी सिंह
वहीं इस रेस में दूसरा नाम डा. वाईडी सिंह का आता है। पूर्व एमएलसी और पेशे से बाल रोग विशेषज्ञ डा. वाईडी सिंह का नाम हालांकि अभी इस रेस से बाहर है। हालांकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यक्रमों में इधर बढ़ी उनकी सक्रियता इस बात की ओर इशारा कर रही है कि हो सकता है कि भाजपा उन्हें गोरखपुर संसदीय सीट का चेहरा बनाकर मैदान में उतारना चाहती हो क्योंकि जनता के बीच उनकी छवि भी काफी अच्छी है। वह इस सीट के प्रबल दावेदारों में से एक हैं।
वीर बहादुर सिंह
तीसरा बड़ा नाम पूर्व मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह के पुत्र और कभी मायावती के दाहिने हाथ माने जाने वाले पूर्व कैबिनेट मंत्री फतेह बहादुर सिंह का आता है। वह बसपा छोड़ने के बाद से ही मंदिर की शरण में आ गए थे। हालांकि उन्होंने पिछला चुनाव एनसीपी के टिकट पर गोरखपुर की कैम्पियरगंज विधानसभा सीट से लड़ा था और जीत हासिल की थी। लेकिन, इस बार भाजपा ने उन्हें टिकट देकर मैदान में उतारा और वह भाजपा और योगी आदित्यनाथ के विश्वास पर भी खरे उतरे।
शीतल पाण्डेय
इसके बाद सबसे प्रबल दावेदारों में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खास कहे जाने वाले और उनके प्रतिनिधि रह चुके सहजनवां विधायक शीतल पाण्डेय का नाम आता है। वह पहली बार गोरखपुर की सहजनवां विधानसभा सीट से पहली बार भाजपा के टिकट पर चुनाव जीते और योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद ही उन्होंने योगी आदित्यनाथ के लिए यह सीट छोड़ने का ऐलान कर दिया था। लेकिन, गोरखपुर सदर लोकसभा सीट पर टिकट की दावेदारी पर वह मौन ही रहे।
डा. धर्मेन्द्र सिंह
भाजपा के पूर्व महानगर अध्यक्ष और वर्तमान में क्षेत्रीय महामंत्री डा. धर्मेन्द्र सिंह भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खास मानें जाते हैं। भाजपा के पदाधिकारी रहने के बावजूद वह काफी लंबे समय से मंदिर और योगी आदित्यनाथ की सेवा करते चले आ रहे हैं। इसलिए माना जा रहा है कि वह भी इस सीट के हकदार हो सकते हैं हालांकि कुछ लोगों का यह भी मानना है कि भाजपा के क्षेत्रीय अध्यक्ष और योगी आदित्यनाथ के खास उपेन्द्र दत्त शुक्ल को भी इस सीट पर उतारा जा सकता है, जिससे ब्राह्मण वोटों का ध्रुवीकरण किया जा सके।
अगर देखा जाए तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मंदिर प्रबंधन और स्कूल प्रबंधन की देख-रेख करने वाले और योगी के विश्वासपात्र महाराणा प्रताप जंगल दूषण के प्रिंसिपल डॉक्टर प्रदीप राव और हिंदू युवा वाहिनी के प्रदेश मंत्री इंजीनियर पी के मल भी हो सकते हैं। गोरखपुर संसदीय सीट से प्रत्याशी क्योंकि यह दोनों लोग मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सबसे नजदीक रहने वालों में से हैं और मुख्यमंत्री के मूड और भाव को अच्छी तरह से पहचानते हैं, अब तक यह दोनों इनके संसदीय कार्य क्षेत्र में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्य को देखते आ रहे हैं। योगी आदित्यनाथ जी चाहेंगे कि उनकी यहां संसदीय सीट उनके अंडर में रहे। यही वजह मानी जा रही है। इन दोनों में से कोई एक व्यक्ति प्रत्याशी हो सकता है।