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Tuesday, September 10, 2024

राजधानी में 2017 में जितने वोटिंग के रिकॉर्ड टूटे हैं उतने ही रेप के भी, पढ़े पूरी खबर

लखनऊ, शैलेन्द्र कुमार। राजधानी में इस समय हर बड़े से बड़ा नेता सुरक्षा और कानून व्यवस्था के ही गुण गा रहा है लेकिन हकीकत तो कुछ और ही है। राजधानी में आज आधी आबादी भी सुरक्षित नहीं है। एक तरफ जहाँ सरकार कानून व्यवस्था को तेजी से प्रगति के पथ पर चलता हुआ अपराधों को रोकने में सक्षम मान रही है वहीँ दूसरी तरफ यह पूरी तरह विफल होती नजर आ रही है।

राजधानी पुलिस के आंकड़े बताते हैं कि जनवरी महीने में हर दूसरे दिन एक महिला की इज्जत तार -तार हुई है। और इसमें सबसे ज्यादा मामलें रेप के ही सामने आएं हैं। पुलिस के लचर होने के चलते ही महिलाओं की हत्या, दुष्कर्म, छेड़छाड़, चेन स्नैचिंग और पर्स लूट आम बात हो गयी है।

और पुलिस ने अपनी कानून व्यवस्था को ऐसे मजबूत करके रखा है कि इन मामलों में कार्यवाई के नाम पर सिर्फ रिपोर्ट दर्ज करके हाथ पर हाथ रखकर बैठ जाती है। आपको बता दें कि तीन सालों में इस बार जनवरी में सबसे अधिक रेप की वारदातें हुई हैं।शहर में इस वर्ष जनवरी में कुल 308 वारदातें हुई हैं।

सिर्फ जनवरी में ही 54 घटनाएं हुईं। जहाँ पुलिस के भरोसे ही महिलाएं अपने घर से निकलती हैं वहां पर ही पिछले तीन वर्षों में जनवरी का महीना ही महिलाओं के लिए इतना खतरनाक रहा। और इनमे से ज्यादातर मामलों का खुलासा भी नहीं हो सका है। महिलाओं की सुरक्षा को लेकर राजधानी पुलिस के सारे उपाय नाकाम ही साबित हुए हैं।

इसकी गवाही खुद तीन वर्ष के पुलिस रिकॉर्ड देते हैं। आपको बता दें कि बुधवार शाम गोमतीनगर विरामखंड इलाके में एक सरकारी अस्पताल में काम करने वाली युवती से उसके ही मौसेरे भाई ने छेड़छाड़ की। शोर मचाने पर आसपास की भीड़ ने आरोपी को पकड़ लिया और जमकर पिटाई करने के बाद पुलिस के हवाले कर दिया। इंस्पेक्टर मनोज मिश्रा ने धमकाने और छेड़छाड़ की रिपोर्ट दर्ज कर गिरफ्तार कर लिया गया है।

इंस्पेक्टर ने बताया की पकड़ा गया आरोपी मुम्बई में रहता है और गोमतीनगर में रहने वाली मौसेरी बहन से एक तरफा प्यार करता है। वह अक्सर लखनऊ आकर उससे बातचीत करने कि कोशिश करता था और युवती उसकी भावनाओं से वाकिफ थी। इसलिए उसने कई बार समझाया भी, लेकिन वह नहीं माना। जब बुधवार शाम युवती अस्पताल से घर लौट रही थी तभी विरामखंड के सुनसान इलाके में आरोपी ने उसे रोक लिया और छेड़छाड़ करनी शुरू कर दी।

युवती ने विरोध किया और मोबाइल निकाल घर वालों से शिकायत करने की बात कही तो उसने मोबाइल छीन लिया और जान से मारने की धमकी दी। युवती ने शोर मचाया और आसपास के लोग जुट गए और आरोपी की पिटाई कर पुलिस के हवाले कर दिया।
वही दूसरी तरफ दिल्ली से लखनऊ आने वाली एसी एक्सप्रेस(12430 ) बृहस्पतिवार सुबह जब चारबाग रेलवे स्टेशन पहुंची तो ट्रेन में पति के साथ सफर कर रही महिला ने यात्री पी. कुमार पर छेड़छाड़ का आरोप लगाया है। ट्रेन के लखनऊ पहुँचने पर मामला दर्ज कर उस युवक को अदालत भेज दिया गया, जहाँ उसे जमानत पर रिहा कर दिया गया। हालाँकि, युवक ने सीट को लेकर हुए विवाद को वजह बताया।

ऐसे ही कई मामलें जो इनसे भी खतरनाक हैं दर्ज हो चुके हैं और पुलिस इन मामलों पर रोक लगाने में नाकाम रही है। आपको बता दें कि तीन साल में 10 महिलाओं की हत्या, 24 दुष्कर्म, 9 छेड़छाड़, 14 चेन स्नैचिंग, 115 पर्स लूट और 28 दहेज़ हत्या की घटनाएं हुई हैं।

वर्ष(जनवरी)             हत्या          दुष्कर्म           छेड़छाड़           चेन स्नैचिंग             पर्स लूट                 दहेज़ हत्या
2017                           03              16                  03                  07                           12                          13
2016                            02             06                  05                  05                          09                          05
2015                            05              02                  01                  02                          84                          10

बता दें कि जनवरी में जिले के 43 थानों में 16 दुष्कर्म के मामले दर्ज हैं और इन्हें दर्ज करने के लिए भी महिलाओं को काफी मशक्कत करनी पड़ी है। वहीँ तीन महिलाओं की हत्या हुई। तीन महिलाओं से छेड़छाड़ ,सात से चेन लूट, 12 से पर्स लूट और तो और 13 विवाहिताओं ने तो दहेजलोभियों की प्रताड़ना के चलते अपनी जान दे दी। ये आकंड़े हैं जो पुलिस ने दर्ज किये हैं जबकि इसके अलावा लगभग इतने ही मामले अभी भी थानों दर्ज होने का इन्तजार कर रहे हैं।

बता दें कि महिला सुरक्षा को लेकर सरकार ने कई योजनाएं और सेल बनाया है। इन पर हर महीने करोड़ों रूपये खर्च किये जा रहे हैं। वीमेन पावर लाइन 1090, महिला सम्मान प्रकोष्ठ शुरू किया गया। इसके बावजूद शहर की आधी आबादी खुद को सुरक्षित नहीं महसूस कर रही है।

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