राजस्व सचिव हसमुख अधिया ने आज कहा कि राजनीतिक दलों को हर साल दिसंबर तक आयकर विवरण देना होगा अन्यथा उन्हें कर में मिली छूट समाप्त होने का जोखिम होगा।
राजस्व सचिव ने कहा कि राजनीतिक पार्टियों को चुनावी बांड के जरिए मिला चंदा गोपनीय होगा और चंदा देने वाले की पहचान गुप्त रखी जाएगी। इतना ही नहीं चुनावी बॉन्ड के जरिये चंदा देने वालों की पहचान गुप्त रखने के लिए वित्त विधेयक से जनप्रतिनिधित्व अधिनियम को संशोधित किया जाएगा।
इससे पहले वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बुधवार को पेश किए गए बजट में राजनीतिक दलों के चंदे में पारदर्शिता लाने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाया था। इसके तहत पार्टियां एक व्यक्ति से दो हजार रुपये ही नकद चंदा ले सकेंगी। पहले यह राशि 20,000 रुपये थी।
दानदाताओं का नाम उजागर करना होगा:
संसद में बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि राजनीतिक पार्टियों को 2000 रुपये से ऊपर के चंदे के लिए दानदाता का नाम उजागर करना होगा। उन्होंने कहा कि राजनीतिक दल अपने दानदाताओं से चेक या डिजिटल माध्यम से ही 2000 से अधिक चंदा प्राप्त कर सकेंगे। चंदा लेने में सुविधा के लिए जल्द अधिकृत बैंकों से चुनावी बांड जारी किए जाएंगे। इतना ही नहीं दलों को निर्धारित समय-सीमा के भीतर आयकर रिटर्न भी अनिवार्य रूप से भरना होगा।
चुनाव आयोग ने डाला था दबाव:
चुनाव आयोग ने पार्टियों के चंदे को लेकर केंद्र सरकार पर दबाव डाला था, साथ ही कुछ सुझाव भी दिए थे। मालूम हो कि इससे पहले नकद में चंदा लेने का हिसाब राजनीतिक दलों को नहीं देना पड़ता था। चंदे की रकम आयकर से भी बाहर थी, लेकिन इस छूट का फायदा उठाकर पार्टियां चंदे को लेकर बड़ा गड़बड़झाला करती थीं।